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आईएसएस पर जाएगा भारतीय अंतरिक्ष यात्री

भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में गहरे होते संबंधों को अगले स्तर पर ले जाते हुए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए भारत के एक अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षण देगी.

आईएसएस पर जाएगा भारतीय अंतरिक्ष यात्री
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के प्रबंधक बिल नेल्सन ने कहा है कि अगले साल आईएसएस में भेजने के लिए भारत के एक अंतरिक्ष यात्री को प्रशिक्षित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह भारत और अमेरिका के बीच गहरे होते संबंधों का नतीजा है.

बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में नेल्सन ने कहा, "यह विज्ञान को साझा करने का मौका है.”

नेल्सन भारत में निसार सिस्टम को देखने पहुंचे थे. नासा-इसरो एसएआर (NISAR) पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाने वाला एक सिस्टम है जिसे नासा और इसरो ने मिलकर तैयार किया है. एक बड़ी कार के आकार का यह उपग्रह अगले साल की शुरुआत में भारत से प्रक्षेपित किया जाना है.

निसार हर 12 दिन में पूरे ग्रह का चक्कर लगाएगा और पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहे बदलावों, बर्फ की स्थिति, समुद्री जल स्तर में बदलाव, भूजल में बदलाव और भूकंप, सूनामी व ज्वालामुखी विस्फोट जैसी गतिविधियों की निगरानी कर रिपोर्ट देगा.

चार अंतरिक्ष यात्री होंगे तैयार

एक दिन पहले ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा था कि भारत चार अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करेगा. उनमें से दो का प्रशिक्षण नासा में होगा और एक को भारत-अमेरिका संयुक्त मिशन के तहत आईएसएस पर भेजा जाएगा.

भारत उपग्रह प्रक्षेपण के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इसी साल जून में उसने नासा के साथ आर्टेमिस समझौता किया था, जिसका मकसद अगले एक दशक में भारत की हिस्सेदारी को पांच गुना बढ़ाना है.

आर्टेमिस समझौता एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसके तहत 1967 में हुई बाह्य अंतरिक्ष संधि के नियमों को आधुनिक व स्पष्ट बनाना है, ताकि इस क्षेत्र में और ज्यादा वैज्ञानिक पारदर्शिता आ सके और अंतरिक्ष व चंद्रमा के प्रयोग को किसी तरह के खतरे में बदलने से रोका जा सके.

अंतरिक्ष में बढ़ती होड़

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत एक बड़ी ताकत के रूप में जाना जाता है. इसी साल अगस्त में उसने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर एक रॉकेट उतारने का कारनामा किया था, जो अब तक दुनिया में कोई और देश नहीं कर पाया पाया है.

भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष के क्षेत्र में बढ़ती सक्रियता चीन के साथ जारी प्रतिद्वन्द्विता के संदर्भ में भी देखी जा सकती है. हाल के सालों में चीन ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए हैं. 2019 में उसने पहली बार चंद्रमा के ना दिखने वाली तरफ सॉफ्ट लैंडिंग की थी, जो कि पहली बार हुआ था.

अगले कुछ सालों के लिए चीन ने कई अंतरिक्ष प्रोजेक्ट तैयार कर रखे हैं, जिन पर लगभग 12 अरब डॉलर खर्चे जाने का अनुमान है. इसके बरअक्स अमेरिका ने चंद्रमा पर यात्री भेजने के अपने आर्टेमिस प्रोग्राम का बजट लगभग 93 अरब डॉलर रखा है.


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