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भारत पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से फिर से करेगा हासिल : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में लोगों को प्रताड़ित और उन पर अत्याचार कर रही है

भारत पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्से फिर से करेगा हासिल : राजनाथ सिंह
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श्रीनगर। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में लोगों को प्रताड़ित और उन पर अत्याचार कर रही है। यहां इन्फेंट्री दिवस समारोह को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के हिस्से को वापस पाने के बारे में 1994 के संसद के प्रस्ताव को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान सरकार पीओजेके में नफरत के बीज बो रही है और वह समय दूर नहीं, जब वहां के लोग सामूहिक विद्रोह का सहारा लेंगे। भारत गिलगित और बाल्टिस्तान सहित पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर को पुन: प्राप्त करने के बारे में संसद में पारित प्रस्ताव को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, "पीओजेके के लोगों को सभी बुनियादी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है और हम इससे पूरी तरह वाकिफ हैं। 1947 में इसी दिन श्रीनगर हवाईअड्डे पर भारतीय सेना के उतरने के उपलक्ष्य में 27 अक्टूबर को इन्फेंट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है।" उन्होंने कहा कि सरदार पटेल का सपना तब पूरा होगा जब 1947 के सभी शरणार्थियों को उनकी जमीन और घर वापस मिल जाएंगे।

22 फरवरी, 1994 के संसद के प्रस्ताव में कहा गया है कि पाकिस्तान को अवैध कब्जे वाले कश्मीर के हिस्से को खाली करना चाहिए।

राजनाथ सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को रद्द करना जम्मू-कश्मीर में एक नई शुरुआत है। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत संघ के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण का समर्थन किया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश फल-फूल रहे हैं और समाज के हर वर्ग को इसके उचित अधिकार मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि 1947 में भारतीय सेना ने उस दुश्मन को करारा जवाब दिया, जिसने कश्मीर पर अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश की थी। मैं भारतीय सेना की इन्फेंट्री रेजिमेंट को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने आक्रमणकारियों को पीछे धकेल कर सर्वोच्च बलिदान दिया।


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