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परमाणु शक्ति के दबाव में नहीं आएगा भारत, आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति : सी.एन. अश्वथ नारायण

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सी.एन. अश्वथ नारायण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन का समर्थन करते हुए कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है

परमाणु शक्ति के दबाव में नहीं आएगा भारत, आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति : सी.एन. अश्वथ नारायण
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बेंगलुरु। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक सी.एन. अश्वथ नारायण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश के नाम संबोधन का समर्थन करते हुए कहा कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है।

उन्होंने कहा कि यह संदेश न केवल भारतवासियों के लिए, बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि भारत किसी भी परमाणु शक्ति के दबाव में नहीं आएगा जो आतंकवाद का समर्थन करती हो।

नारायण ने आगे कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आतंकवाद से निपटने के बाद ही किसी भी तरह की बातचीत संभव है। आतंकवाद को बर्दाश्त करने का कोई सवाल ही नहीं है। हम न तो इसे सहन करेंगे और न ही इस पर कोई समझौता करेंगे। आतंकवाद से सख्ती से निपटना भारत की पहली प्राथमिकता है और इसके बाद ही अन्य मुद्दों जैसे व्यापार या जल-बंटवारे पर विचार किया जा सकता है।

कांग्रेस पार्टी की ओर से संसद के विशेष सत्र की मांग पर उन्होंने कहा कि यह सत्र के लिए सही समय नहीं है, जब सही समय आएगा तो इन सभी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। सभी सवालों के जवाब दिए जाएंगे। हम एक लोकतांत्रिक देश हैं और हमारा संविधान चर्चा और सवाल-जवाब की आजादी देता है। कोई भी इसे रोक नहीं सकता। हर व्यक्ति को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, लेकिन अभी वह समय नहीं है। उचित समय पर सभी मुद्दों पर खुली और पारदर्शी चर्चा होगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मध्यस्थता के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला द्विपक्षीय है और इसमें किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। जो भी मुद्दा है, उसमें हमारा कोई मध्यस्थ नहीं है। मध्यस्थता का सवाल ही नहीं उठता, यह पूरी तरह से भारत और पाकिस्तान के बीच का मामला है। जो कुछ भी हुआ है, जो भी रियायतें या रुख अपनाया गया है, वह दोनों देशों के आपसी फैसलों पर आधारित है। भारत ने अपने फैसले खुद लिए हैं। भारत में क्या किया जाना चाहिए, इस बारे में कोई और सलाह नहीं दे सकता। मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर मुद्दे के लिए हमें किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है। संदेश स्पष्ट था।

पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव की तुलना 1971 के युद्ध से किये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 2025 का युद्ध पूरी तरह से अलग है। यह आधुनिक युद्ध कौशल का प्रदर्शन है, जहां भारत ने बिना कुछ खोए अपना लक्ष्य हासिल किया। भारत ने अपनी सैन्य क्षमता और कूटनीतिक दृढ़ता का प्रदर्शन किया है। भारत की नीति स्पष्ट है कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा। यह संदेश न केवल पड़ोसी देशों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।


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