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भारत अपनी सही नीति और निवेश से वैश्विक व्यापार में आ रही चुनौतियों से निपटेगा: वित्त मंत्री

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारत अपनी सही नीतियों और लंबी अवधि के निवेश के जरिए वैश्विक व्यापार में आ रही चुनौतियों से निपटेगा

भारत अपनी सही नीति और निवेश से वैश्विक व्यापार में आ रही चुनौतियों से निपटेगा: वित्त मंत्री
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मुंबई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारत अपनी सही नीतियों और लंबी अवधि के निवेश के जरिए वैश्विक व्यापार में आ रही चुनौतियों से निपटेगा।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि टैरिफ वॉर और संरक्षणवाद में बढ़ोतरी होने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उथल-पुथल होने की उम्मीद है। इससे उत्पादन लागत बढ़ेगी और पूरी दुनिया में निवेश निर्णयों में अनिश्चितता आएगी।

उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक उतार-चढ़ाव, अनिश्चितता के बीच भारत का मजबूत आर्थिक आधार और स्थिरता उभर कर आई है।

सीतारमण ने कहा, "हम निवेशकों को नीति स्थिरता और विकास, गवर्नेंस और इनोवेशन का मिश्रण प्रदान करते हैं।"

वित्त मंत्री ने आगे कहा, "हम सही नीति और लंबी अवधि के निवेश से वैश्विक उतार-चढ़ाव से निपटेंगे।"

सीतारमण ने यह भी कहा कि हाल की वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत के वित्तीय बाजारों ने मजबूती दिखाई है, जो खुदरा निवेशकों के बाजारों में विश्वास को दर्शाता है।

अमेरिका द्वारा टैरिफ वृद्धि की घोषणा के बाद दुनिया भर के शेयर बाजारों में आई उथल-पुथल के बाद भारतीय बाजारों में अन्य बाजारों की तुलना में अधिक स्थिरता रही।

फिलहाल, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के बीच राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ वृद्धि को 90 दिनों के लिए टाल दिया गया है।

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते का पहला चरण डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा तय 90 दिनों की टैरिफ-रोक अवधि के भीतर पूरा होने की संभावना है।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस सप्ताह पत्रकारों से कहा, "भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार उदारीकरण के रास्ते पर चलने का फैसला किया है।"

उन्होंने कहा कि अगर व्यापार समझौता 2025 के समाप्त होने से पहले पूरा हो जाता है तो भारत और अमेरिका दोनों को लाभ होगा।

वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, समझौते की शर्तों को अंतिम रूप दे दिया गया है और आगे की बातचीत मुख्य रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से होने वाली है। हालांकि यदि आवश्यक हुआ तो भारतीय अधिकारी वाशिंगटन का दौरा कर सकते हैं या अमेरिकी अधिकारी दिल्ली आ सकते हैं।


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