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भारत न पहले कमजोर था और ना आज कमजोर है: कमलनाथ

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज यहां शौर्य स्मारक में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के विजय दिवस पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि भारत न पहले कमजोर था और न ही आज कमजोर है।

भारत न पहले कमजोर था और ना आज कमजोर है: कमलनाथ
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भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज यहां शौर्य स्मारक में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के विजय दिवस पर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा है कि भारत न पहले कमजोर था और न ही आज कमजोर है।

श्री कमलनाथ ने जनता को विजय दिवस का संदेश जारी करते हुए कहा कि इस अवसर पर हम सब को यह याद रखना चाहिए कि सभी नागरिकों को, चाहे वे किसी भी मजहब, जाति अथवा पंथ को मानने वाले हों, सबका यह कर्तव्य है कि राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत बनाएं। अपने शहीदों का गुणगान करें। हम सब भारत के विकास, खुशहाली और अमन-चैन के लिए मिलकर प्रयास करें।

मुख्यमंत्री ने विजय दिवस संदेश में कहा कि 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध एक सैन्य संघर्ष था। यह संघर्ष 3 दिसंबर 1971 को शुरू हुआ और 16 दिसंबर को ढाका में पाक सेना के समर्पण के साथ समाप्त हुआ। उन्होंने कहा कि इस युद्ध की शुरुआत में पाकिस्तान ने भारत की वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हवाई हमले किये। इसमें भारतीय सेना का पाकिस्तान से पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर संघर्ष हुआ।

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने पाक सेना को दोनों मोर्चों पर परास्त किया। हताश पाकिस्तानी सेना आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हुई। इसी के साथ पूर्वी पाकिस्तान नए 'बांग्लादेश' के रूप में स्थापित हुआ। उन्होंने कहा कि इसी जीत को हम आज विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने कहा कि यह युद्ध तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी के सशक्त नेतृत्व और अद्वितीय राष्ट्रवाद की अद्भुत मिसाल होने के साथ भारतीय जांबाज सैनिकों के अदम्य शौर्य का भी प्रतीक है। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिक घुटने टेकने पर मजबूर हुए और उन्हें आत्मसमर्पण करना पड़ा।

श्री कमलनाथ ने कहा कि उस समय के अधिकांश पश्चिमी देश और महाशक्ति अमेरिका भारत को पाकिस्तान के विरुद्ध कुछ नहीं करने के लिए खुलेआम धमका रहे थे। तब श्रीमती गांधी का ही साहस था, जिन्होंने पाकिस्तान को सशस्त्र संघर्ष में सबक सिखाया और भारत की प्रभुता स्थापित की। उनकी असाधारण सूझबूझ और सैन्य बलों के अदम्य शौर्य ने देशवासियों को जिस तरह हर्षित और गौरवान्वित किया, वह बेमिसाल था।

मुख्यमंत्री ने तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी द्वारा 16 दिसंबर 1971 को संसद में दिए गए वक्तव्य का प्रमुख अंश को भी दोहराया। उन्होंने कहा कि 1971 की इस जीत ने भारत को एक अंतर्राष्ट्रीय शक्ति के रूप में स्थापित किया। इससे देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती गांधी को पूरे विश्व में दृढ़ता के साथ निर्णय लेने वाली 'आयरन लेडी ' के रूप में पहचान मिली।

श्री कमलनाथ ने शौर्य स्मारक परिसर में स्थित शौर्य स्तंभ के समक्ष श्रद्धासुमन अर्पित किये। कार्यक्रम में सामान्य प्रशासन मंत्री डॉ. गोविन्द सिंह, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री आरिफ अकील, जनसम्पर्क मंत्री पी.सी. शर्मा, मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती, ब्रिगेडियर आदित्य विक्रम पैठिया उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने श्री पैठिया को वर्ष 1971 के युद्ध में विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने वर्ष 1971 के युद्ध के सैन्य अधिकारियों और जवानों को सम्मान प्रतीक और शाल प्रदान कर सम्मानित किया।


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