और उलझा फलस्तीन में भारत के राजदूत की मौत का मामला
मुकुल आर्या की मौत पर उनके परिवार द्वारा संदेह व्यक्त करने के बाद उनके शव का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाएगा.

मुकुल आर्या की मौत का मामला दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गया है. उनके परिवार द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय ने अदालत को बताया कि वो आर्या के शव का दोबारा पोस्टमार्टम करवाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा.
गुरुवार 11 मार्च को आर्या की मां ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अपने बेटे की मौत के "संदेहजनक हालात" की जांच करवाने की अपील की. उन्होंने आर्य के शव के दोबारा पोस्टमार्टम के लिए दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल के डॉक्टरों का एक पैनल गठित करने की भी मांग की.
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दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु
37 वर्षीय आर्या 2008 में ही भारतीय राजनयिक सेवा से जुड़े थे. उन्होंने जून 2021 में फलस्तीन के रमल्ला स्थित भारतीय दूतावास में कार्यभार संभाला था और छह मार्च 2022 को वो दूतावास के अंदर ही मृत पाए गए थे. उनके शव का पोस्टमार्टम वहीं कराया गया जिसके बाद फलस्तीन के न्याय मंत्रालय ने कहा कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई थी.
याचिका में अदालत को बताया गया कि आर्य ने अपने परिवार के सदस्यों से आखिरी बार तीन मार्च को बात की थी. उसके बाद छह मार्च तक परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली और फिर सीधा उनके मृत्यु की बारे में पता चला. याचिका में कहा गया है कि इसके बाद उनके परिवार ने उनकी मृत्यु के पीछे कुछ गड़बड़ी होने का आरोप लगाते हुए भारत सरकार के अधिकारीयों को कई बार संदेश भेजे लेकिन परिवार को सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.
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हालांकि सुनवाई के दौरान परिवार के वकील ने कहा कि इस समय वो जांच पर जोर नहीं दे रहे हैं और पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी से संतुष्ट हो जाएंगे. इसके बाद न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर ने सरकार को कहा कि वो वीडियोग्राफी सुनिश्चित कराए और उसे दस्तावेजों में शामिल करे.
फलस्तीन में भारत
आर्या ने फलस्तीन से पहले अफगानिस्तान में भारतीय उच्चायोग, रूस में भारतीय दूतावास और फ्रांस में यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि मंडल में काम किया था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और सिंगापुर के ली कुआं यू स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से पढ़ाई की थी.
फलस्तीन में भारत का पूर्ण दूतावास नहीं है. फलस्तीन में भारतीय मिशन को भारत का प्रतिनिधि कार्यालय और वहां का कार्यभार संभालने वाले भारतीय अधिकारी को भारत का प्रतिनिधि कहा जाता है. भारत ने यह कार्यालय 1996 में गजा में स्थापित किया था. 2003 में इसे गजा से रमल्ला स्थानांतरित कर दिया गया.


