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भारत जीरो टोलरेन्स की नीति पर कायम : ए. अजय

जीएल बजाज इन्स्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, में नई पहल के तहत भारत के लिए अंतररष्ट्रीय संबंधों और अवसरों के प्रतिमान को बदलना विषय पर विशेषज्ञ वार्ता श्रृंखला का आयोजन किया गया

भारत जीरो टोलरेन्स की नीति पर कायम : ए. अजय
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ग्रेटर नोएडा। जीएल बजाज इन्स्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च, में नई पहल के तहत भारत के लिए अंतररष्ट्रीय संबंधों और अवसरों के प्रतिमान को बदलना विषय पर विशेषज्ञ वार्ता श्रृंखला का आयोजन किया गया। इस विशेषज्ञ वार्ता श्रृंखला के मुख्य वक्ता विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के संयुक्त सचिव ए. अजय कुमार थे। मुख्य वक्ता ए. अजय कुमार ने छात्र-छात्राओं को विश्व के बदलते परिवेश के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विश्वयुद्ध से पूर्व के शक्तिशाली केन्द्र यू.के., फ्रांस, जापान रहे हैं जो कि विश्वयुद्ध के बाद धीरे-धीरे विघटित होते रहे हैं।

विश्व का विकेन्द्रीकरण, यूनाइटेड स्टेट व सोवियत संघ यूरोप नामक दो ध्रुवों में होकर रह गया। 1990 के बाद सोवियत संघ यूनियन विभिन्न घटकों में विभाजित हो गया और समूचे विश्व की शक्ति संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के इर्द-गिर्द होकर रह गयी। ए. अजय कुमार ने बताया कि वर्तमान में चीन, भारत, जापान एवं रूस जैसी शक्तियां उभर रही है जिसमें भारत व चीन विश्व के आकर्षण का केन्द्र बन रहे है।

ए. अजय कुमार ने आगे कहा कि पूरे विश्व के समक्ष आतंकवाद की बहुत बड़ी चुनौती है, जिससे निपटने के लिए भारत विश्व की कई शक्तियों के साथ मिलकर, कुछ कड़े कदम उठा रहा है। एक दो देश को छोड़ दें तो समस्त विश्व इस लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है। सच है कि अधिकतर देश आतंकवाद पर दोहरी नीति रखते हैं, लेकिन भारत एक मात्र ऐसा देश है जो आतंकवाद के खिलाफ अपना स्पष्ट नजरिया रखता है एवं जीरो टालरेन्स की नीति अपनाता है। वाइस चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने कहा कि भारत एक विश्वशक्ति के रूप में उभर रहा है जिसमें युवाओं के लिए अपार संभावनाए होंगी।

संस्थान के निदेशक डॉ. अजय कुमार ने कहा कि जीएल बजाज संस्थान समय-समय पर विशेषज्ञ वार्ता श्रृंखला कराता है, जिसमें विश्व, उद्योग व शिक्षा जगत के वरिष्ठ वक्ताओं को आमंत्रित करता है, जो अपने अनुभवों को छात्रों के साथ साझा करते है और यह ज्ञान छात्रो के सर्वांगीण विकास हेतु उत्प्रेरक का कार्य करता है। डॉ. अजय ने श्रृंखला के विषय को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत की 'पड़ोसी प्रथमÓ पालिसी उपमहाद्वीप के विकास के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करती है, वहीं वर्तमान में भारत अपने राजनैतिक व आर्थिक सम्बन्धों का विस्तार विश्वपटल पर कर रहा है।


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