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फिलीस्तीन को लेकर भारत का रुख स्वतंत्र एवं सतत है: रवीश कुमार

अमेरिका द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने पर भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी हैै और कहा है कि फिलीस्तीन को लेकर उसकी स्वतंत्र एवं सतत नीति बरकरार है

फिलीस्तीन को लेकर भारत का रुख स्वतंत्र एवं सतत है: रवीश कुमार
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नयी दिल्ली। अमेरिका द्वारा यरुशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने पर भारत ने संतुलित प्रतिक्रिया दी हैै और कहा है कि फिलीस्तीन को लेकर उसकी स्वतंत्र एवं सतत नीति बरकरार है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां कहा, “फिलीस्तीन को लेकर भारत का रुख स्वतंत्र एवं सतत है जो हमारे हितों एवं दृष्टिकोण के आधार पर बना है और यह किसी अन्य तीसरे देश द्वारा तय नहीं किया गया है।”



अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम स्थानांतरित करने को कल मंज़ूरी दे दी। इस प्रकार से अमेरिका येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर आधिकारिक मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। अमेरिका के इस कदम की पूरे विश्व में व्यापक आलोचना हो रही है।



अरब देशों समेत मुस्लिम जगत के नेताओं तथा विभिन्न देशों के नेताओं ने इस फैसले के कारण हिंसा भड़कने और विरोध प्रदर्शन की आशंका जाहिर की है। फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि लगभग एक दशक तक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बाद अमेरिका शांति समझौते में अपनी भूमिका से पीछे हट रहा है। ब्बास ने यह भी कहा कि शांति प्रयासों को कमजोर करने वाला यह फैसला निंदनीय और अस्वीकार्य है।

भारत हमेशा से पश्चिम एशिया की परिस्थितियों और क्षेत्र में शांति प्रक्रिया का समर्थन किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल में इजरायल यात्रा और उससे पहले फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास की भारत यात्रा के दौरान भारत ने यही पक्ष दोहराया था।

मोदी ने उस वक्त अपने वक्तव्य में कहा था कि भारत फिलस्तीन के मुद्दे का दृढ़ समर्थन करता है। हम शांतिपूर्ण इजरायल के साथ-साथ संप्रभु, स्वतंत्र, एकजुट और विकासशील फिलस्तीन की उम्मीद करते हैं। भारत फिलस्तीन में बुनियादी ढांचा विकसित करने में अपना सहयोग सदैव जारी रखेगा और फिलस्तीनी लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए सहयोग करता रहेगा।

मोदी ने पश्चिम एशिया की चुनौतियों का हल सतत राजनीतिक बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से निकाले जाने पर जोर देते हुए उम्मीद जतायी थी कि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच व्यापक समझौता हासिल करने के लिए जल्द से जल्द फिर से वार्ता शुरू होगी।



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