बच्चों के अधिकारों के लिए भारत करे हेग समझौते पर हस्ताक्षर: सोली सोराबजी
पूर्व अटर्नी जनरल सोली सोराबजी ने इस बात पर गहरा आश्चर्य व्यक्त किया है कि भारत ने घरेलू हिंसा के शिकार बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए आज तक हेग समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए

नयी दिल्ली। देश के जाने माने विधिवेत्ता एवं पूर्व अटर्नी जनरल सोली सोराबजी ने इस बात पर गहरा आश्चर्य व्यक्त किया है कि भारत ने घरेलू हिंसा के शिकार बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए आज तक हेग समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं जबकि दुनिया के 98 देशों ने इस पर दस्तखत किये हैं।
सोराबजी ने कल रात यहाँ इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में भारत के दिवंगत राजदूत एवं पूर्व विदेश सचिव जे सी शर्मा की स्मृति में घरेलू हिंसा के शिकार बच्चों पर माता पिता के अधिकार पर आयोजित एक संगोष्ठी में यह बात कही। गौरतलब है कि घरेलू हिंसा से प्रभावित बच्चों पर माता पिता के अधिकार को लेकर विवाद के सम्बन्ध में 1980 में एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ था लेकिन उस पर भारत ने दस्तखत नहीं किए जबकि पाकिस्तान जैसे देश ने भी उस पर हस्ताक्षर किये हैं।
माता पिता के बीच विवाद के कारण देश छोड़ने की स्थिति में बच्चों पर अभिभावकों के अधिकार को लेकर अक्सर विवाद खड़े हो जाते हैं। उन्होंने इस बात की पुरजोर वकालत की कि भारत को इस समझौते पर जरुर हस्ताक्षर करने चाहिए और उसमें कुछ अनिवार्य संरक्षण की भी व्यस्था होनी चाहिए । संगोष्ठी की अध्यक्षता न्यायमूर्ति ए के सीकरी ने की और इसमें भारत के अलावा अमेरिका और जर्मनी के भी कानूनविदों ने भाग लिया। न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि घरेलू हिंसा के कारण माता पिता में हुए विवाद का खामियाजा बच्चों को नहीं भुगतने देना चाहिए और कानून बनाते समय बच्चों के हितों का ख्याल रखा जाना चाहिए।
अमेरिकी दूतावास में काउंसिलर जोसेफ पोम्पर ने अमरीका में घरेलू हिंसा के शिकार की स्थिति की जानकारी दी और कहा कि भारत अगर हेग समझौते पर दस्तखत करे तो उसे लाभ ही होगा जर्मन दूतावास में वाणिज्य प्रमुख थीरफील्डर ने कहा कि भारत को यूरोपियन देशों के अनुभवों से सीख लेनी चाहिए और विदेशी अदालतों को बच्चों को लेकर विवाद में भारत की परिस्थितियों को भी समझना चाहिए । संगोष्ठी का आयोजन दक्षिण एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की अध्यक्ष डॉ कविता शर्मा ने किया था ।


