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अमेरिका में पूर्व सैनिकों, किसानों की आत्महत्या से सबक सीखे भारत

2021 में अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 70,248 अमेरिकी डॉलर थी

अमेरिका में पूर्व सैनिकों, किसानों की आत्महत्या से सबक सीखे भारत
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- वाप्पला बालचंद्रन

2021 में अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 70,248 अमेरिकी डॉलर थी। इसे देखते हुए आत्महत्याएं और आत्महत्या के प्रयास भी वहां एक बड़ी समस्या है। जरूरी नहीं है कि ये आत्महत्याएं या आत्महत्या के प्रयास बेघर होने या वित्तीय स्थितियों से संबंधित हों या न भी हों। 2020 में अमेरिका में आत्महत्याओं की कुल 45,799 घटनाएं हुईं।

इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। इस संबोधन को मीडिया व्यापक रूप से कवर करता है। अंतरराष्ट्रीय मामलों पर राष्ट्रपति की राजनीतिक टिप्पणियों को भारतीय मीडिया ने भी कवर किया लेकिन हमारे किसी भी प्रकाशन ने राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा पूर्व अमेरिकी सैनिकों की खराब स्थिति के बारे में स्पष्ट रूप व्यक्त की गई चिंता का कोई उल्लेख नहीं किया। इस संबोधन में भारत के लिए कई सबक हैं जिन्हें हमें मिस नहीं करना चाहिए।

उन्होंने सबसे पहले पूर्व सैनिकों के बीच आत्महत्या की दर का उल्लेख किया। उन्होंने कहा- 'हम एक दिन में 17 दिग्गजों की आत्महत्या को मौन रहकर नहीं देख सकते।' वयोवृद्ध मामलों के विभाग की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार पूर्व सैनिकों की आत्महत्याएं 2001 में 5,989 से बढ़कर 2017 में 6,700 के तक पहुंच गई थीं, फिर यह 2019 में घटकर 6,261 और 2020 में 6,146 हो गईं।

राष्ट्रपति बाइडेन ने जिस दूसरे मुद्दे पर बात की वह है पूर्व सैनिकों की 'आवासविहीनता'। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पूर्व सैनिकों को उनके घर का किराया देने में मदद करेगी क्योंकि 'इस देश में कोई भी बेघर नहीं होना चाहिए, खासकर उन लोगों को नहीं जिन्होंने इस देश की सेवा की है।' अमेरिकी आवास और शहरी विकास विभाग (एचयूडी) द्वारा अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में 'बेघर' पूर्व सैनिकों की संख्या 33,136 थी। यह 2010 में 74,087 थी जो 2020 में घटकर 37,252 हो गई।

2021 में अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय 70,248 अमेरिकी डॉलर थी। इसे देखते हुए आत्महत्याएं और आत्महत्या के प्रयास भी वहां एक बड़ी समस्या है। जरूरी नहीं है कि ये आत्महत्याएं या आत्महत्या के प्रयास बेघर होने या वित्तीय स्थितियों से संबंधित हों या न भी हों। 2020 में अमेरिका में आत्महत्याओं की कुल 45,799 घटनाएं हुईं। स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में काम करने वाले एक निजी अमेरिकी शोध संगठन 'कॉमनवेल्थ फंड' ने 2020 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि 'किसी भी अमीर राष्ट्र की तुलना में आत्महत्या की सबसे अधिक दर अमेरिका में है।' उनके अनुसार यह संख्या ब्रिटेन की तुलना में दोगुनी है। आत्महत्याओं के कारणों में एक बड़ा हिस्सा मानसिक बीमारी की उच्च दर, भौतिक पदार्थों का बढ़ता उपयोग, ड्रग ओवरडोज तथा मानसिक स्वास्थ्य उपचार के लिए भुगतान करने में कई लोगों की अक्षमता का है।जब मैंने इस विषय पर आगे अध्ययन किया तो यह मेरे लिए एक रहस्योद्घाटन था कि अमेरिका में भी किसानों की आत्महत्या एक बड़ी समस्या है। इसके कई कारण हैं।

9 मार्च, 2020 को यूएसए टुडे ने प्रकाशित किया कि अमेरिकी किसान 'लगभग रिकॉर्ड ऋ ण के बोझ तले दबे हुए थे, ब्याज की बढ़ती दरों के कारण दिवालिया होने की घोषणा कर रहे थे। जलवायु परिवर्तन के खतरे से घिरे अनिश्चित भविष्य के कारण अपने खेतों को बेच रहे थे तथा टैरिफ और बेलआउट से घिरे हुए थे।' रिपोर्ट में कहा गया था-'2014-18 के दौरान नौ राज्यों में 450 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की थी।' अखबार ने कहा कि यह संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि सभी राज्यों ने आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं।

इस अखबार के सर्वे के अनुसार आत्महत्या का मुख्य कारण 2012 के बाद से कमोडिटी की कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत की गिरावट, कृषि ऋ ण में 2007 से लगभग एक तिहाई की उछाल और 1980 के दशक में आखिरी बार देखे गए स्तरों तक पहुंचना था। इसके अलावा खराब मौसम भी एक बड़ा कारण है। 2019 में खराब मौसम ने किसानों को लगभग 20 मिलियन एकड़ में बुवाई करने से रोक दिया। इसके अलावा राजनीतिक कारण भी हैं। व्यापारिक तनाव की वजह से चीन को अमेरिकी सोयाबीन निर्यात 2017 से 2018 तक 75 प्रतिशत गिर गया।

27 नवंबर, 2019 को टाइम मैगज़ीन ने लिखा कि 'छोटे खेतों का सुरम्य अमेरिकी परिवार' पीढ़ियों से घट रहा था और केवल छुट्टियों के ग्रीटिंग कार्ड पर दिखाई दे रहा था। वे विदेश नीति से उपजे तनाव जैसे व्यापार युद्ध, जलवायु परिवर्तन, कमोडिटी की गिरती कीमतों, नई प्रौद्योगिकियों, वैश्वीकरण और कॉर्पोरेट खेती से प्रभावित थे। 'अध्याय 12 कृषि दिवालियापन' में कहा गया है कि 2018 के जुलाई से 2019 के जून तक मिडवेस्ट में कृषि दिवालियापन 12 प्रतिशत और उत्तर पश्चिम में 50 प्रतिशत तक बढ़ गया था। यह किसानों (गैर-किसानों के लिए 'अध्याय 11 दिवालियापन' का एक प्रारूप) के लिए स्वामित्व बनाए रखने के लिए एक विशेष कानूनी प्रावधान है, बशर्ते वे निर्धारित अवधि के भीतर अपने वित्त को पुनर्गठित करें। नतीजतन, हजारों छोटे किसानों ने खेती बंद कर दी क्योंकि उन्हें लगा कि वे इस मार्ग के माध्यम से अपने व्यवसाय को पुनर्गठित नहीं कर पाएंगे। इस प्रकार, अमेरिका ने 2011 और 2018 के बीच 100,000 से अधिक खेतों को खो दिया। सिर्फ 2017 और 2018 के बीच यह संख्या 12,000 थी।

9 मार्च, 2019 को 'दी गार्डियन' (यूके) ने कहा कि इस समस्या की जड़ 'फैक्ट्री फार्मिंग' में है जिसे हम 'कॉर्पोरेट खेती' कहते हैं। हमारे किसानों पर हमें गर्व महसूस होता है कि वे 2020-21 के दौरान भारत में ऐसी स्थिति को रोकने के लिए दृढ़ता से खड़े रहे।

यह 1970 में शुरू हुआ जब तत्कालीन अमेरिकी कृषि सचिव अर्ल बुट्ज़ ने बड़े खेतों के विचार को आगे बढ़ाया और छोटे किसानों से कहा कि वे बड़े खेतों के विचार को अपनाएं या इस व्यवसाय से बाहर निकल जाएं। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने उन्हें पर्ड्यू के कृषि विभाग से बाहर निकाल कर अमेरिकी कृषि विभाग में नियुक्त किया।

एक गैर-लाभकारी 'जलवायु समाधान' संगठन 'ग्रिस्ट' ने 8 फरवरी, 2008 को कहा कि अर्ल बुट्ज़ 'अति-कुशल, केंद्रीकृत खाद्य प्रणाली चाहते थे जो मिडवेस्टर्न मकई और सोया के भंडारों के माध्यम से दुनिया को लाभप्रद और सस्ते में खिला सके।' यह आश्चर्यजनक बात थी कि तब बुट्ज़, राल्स्टन पुरीना जैसे कई 'एग्रीबिज' निगमों के बोर्ड सदस्य के रूप में सेवा दे रहे थे। उन्होंने इस आलोचना को खारिज कर दिया था कि उनका कॉर्पोरेट कनेक्शन सरकार के उनके नीतिगत निर्णयों से समझौता करेगा।

यह सुनकर कई किसानों ने बड़े ऋण लिए और अपने उत्पादन का विस्तार किया। हालांकि, सोवियत संघ के खिलाफ राष्ट्रपति जिमी कार्टर के 1980 के अनाज प्रतिबंध के निर्णय ने इस कार्यक्रम को एक बड़ा झटका दिया जिससे रातों-रात किसानों की आय समाप्त हो गई। इसके साथ ही उच्च ब्याज दरों ने लागत बढ़ा दी और पारिवारिक खेतों के लिए ऋ ण बढ़ गया। जमीन की कीमतें गिर गईं और बैंकों ने किसानों की संपत्ति कुर्क करनी शुरू कर दी। स्वतंत्र खेती के लिए लगे हर झटके ने बड़े निगमों के आने के अवसर खोल दिए। पेपर के अनुसार, 1990 में छोटे और मध्यम आकार के खेतों ने देश में सभी कृषि उत्पादन का लगभग आधा उत्पादन किया था। अब यह एक चौथाई से भी कम है। जब छोटे खेत समाप्त हो गए तो उनके जीवन में मदद करने वाले स्थानीय व्यवसाय भी चौपट हो गए। स्थानीय बीज और उपकरण आपूर्तिकर्ताओं ने अपनी दुकानें बंद कर दीं क्योंकि 'कार्पोरेट' थोक विक्रे ताओं या निर्माताओं से चीजें खरीदते थे।

स्थानीय पशु चिकित्सकों की मांग गिर गई। जैसे-जैसे ये व्यवसाय बंद होते गए, समुदाय सिकुड़ गए। दुकानें, रेस्तरां और डॉक्टरों ने सर्जरी करनी बंद कर दी। लोगों ने पाया कि उन्हें चिकित्सा या उपचार के लिए एक घंटे या उससे अधिक समय तक ड्राइव करके जाना पड़ता था। कस्बों और काउंटियों ने एम्बुलेंस साझा करनी शुरू कर दी।

दिवालियापन के बाद नौकरी शुरू करने वाले कई खेत मालिक बाहर चले गए। कम वेतन पाने वाले प्रवासी श्रमिक बाहर से आयात किए गए। यह पाठ्य पुस्तक की कहानी जैसा था कि कैसे पूंजीवाद मिट्टी और श्रमिक को मारता है। जैसा कि कार्ल मार्क्स ने कभी कहा था, ठीक वैसा।
(लेखक कैबिनेट सचिवालय के पूर्व विशेष सचिव हैं। सिंडिकेट : दी बिलियन प्रेस)


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