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देश को लोकतांत्रिक माहौल में नौकरी पैदा करने की जरूरत : राहुल

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत अगले 13 वर्षो तक आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर 2030 तक गरीबी हटा सकता है और देश को यहां लोकतांत्रिक माहौल में नौकरी पैदा करने की जरूरत है

देश को लोकतांत्रिक माहौल में नौकरी पैदा करने की जरूरत : राहुल
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बर्कले। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत अगले 13 वर्षो तक आठ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर 2030 तक गरीबी हटा सकता है और देश को यहां लोकतांत्रिक माहौल में नौकरी पैदा करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि नौकरी सृजन के मामले में भारत को चीन की तर्ज पर आगे बढ़ने की जरूरत नहीं है जहां डरा कर बड़े फैक्ट्रियों में बलपूर्वक काम कराया जाता है।

गांधी ने सोमवार रात कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "मोदी सरकार कहती है कि प्रत्येक दिन 30,000 युवाओं को नौकरी मिल रहा है लेकिन सरकार अभी प्रतिदिन केवल 500 युवाओं के लिए नौकरी पैदा कर पा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास इतिहास में पहली बार गरीबी दूर भगाने का मौका है।

गांधी ने कहा, "अगर भारत अन्य 35 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल रहेगा तो, यह गर्व करने के लिए बहुत बड़ी सफलता होगी। यह करने के लिए अगले 13 वर्षो में हमें 8 प्रतिशत से ज्यादा की आर्थिक वृद्धि हासिल करनी होगी, भारत ने पहले ऐसा किया है और आगे भी कर सकता है। लेकिन इस बात का महत्व है कि भारत अगले 10 से 15 वर्षो तक अबाधित गति से यह लक्ष्य हासिल करे।"

उन्होंने नौकरी सृजन को एक 'केंद्रीय चुनौती' बताते हुए कहा कि युवाओं को अगर नौकरी नहीं मिली तो वृद्धि की ज्यादा दरों से भी हमें फायदा नहीं होगा।

गांधी ने कहा कि हर वर्ष लगभग 1.2 करोड़ युवा नौकरी बाजार में प्रवेश करते हैं।

उन्होंने कहा, "इनमें से लगभग 90 प्रतिशत ने उच्च विद्यालय या इससे कम की शिक्षा ग्रहण की है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहां लोकतांत्रिक तरीके से नौकरी सृजन करने की जरूरत है न कि चीन की तरह बलपूर्वक डराकर नौकरी पैदा करने की जरूरत है। हम उनके तरीकों का अनुकरण नहीं कर सकते जैसे कि वहां बड़ी कंपनियां डरा कर नियंत्रित की जाती है।"

गांधी ने कहा कि फिलहाल केवल शीर्ष 100 कंपनियों पर ध्यान दिया जा रहा है। सबकुछ उन्हीं के पक्ष में बदल रहा है। वे लोग बैंकिंग प्रणाली पर एकाधिकार कर रहे हैं, सरकार के दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले रहते हैं और कानून को अपने हिसाब से तय करते हैं।

इस बीच छोटे और मझोले व्यापारी बैंक ऋण के लिए तरसते हैं। उनके पास कोई सुरक्षा और समर्थन नहीं है। इसके बावजूद छोटे और मध्यम उद्योग देश और विश्व के नवोन्मेष के लिए मूल आधार है।


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