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संतुलित व्यापार व्यवस्था के पक्ष में है भारत : पीयूष

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत व्यापार और निवेश संरक्षण पर एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौते के लिए वार्ता शुरू करने के पक्ष में है

संतुलित व्यापार व्यवस्था के पक्ष में है भारत : पीयूष
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नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि भारत व्यापार और निवेश संरक्षण पर एक संतुलित, महत्वाकांक्षी, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौते के लिए वार्ता शुरू करने के पक्ष में है।

श्री गोयल ने विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक व्यापार सत्र को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) एक संतुलित समझौता नहीं था क्योंकि इससे भारत के किसानों, छोटे उद्योगों - एमएसएमई, डेयरी उद्योग को नुकसान होगा और इसलिए भारत के लिए आरसीईपी में शामिल नहीं होना एक समझदारी थी।

उन्होंने कहा कि भारत, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देशों के लोगों के लिए आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए व्यापार और निवेश वार्ता और संभावित संभावनाओं के लिए तत्पर है। भारत, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों और संस्थाओं के साथ लोकतंत्र, पारदर्शिता, कानून का शासन, अदालतों की स्वतंत्रता, निवेश के नियमों, आदि के संदर्भ में समान है, इसके अलावा, इन देशों के साथ भारतीय व्यापार संतुलित है।

श्री गोयल ने कहा कि हम निश्चित रूप से कुछ देशों के सीमित एजेंडे को स्वीकार नहीं कर सकते हैं, क्योंकि व्यापार व्यवस्था, सब्सिडी व्यवस्था और लाभ जो विकसित दुनिया लाभ ले रही है, उसका विश्व व्यापार संगठन में अधिक संवेदनशीलता और अधिक ईमानदारी के साथ समाधान किया जाना है। उन्होंने कहा कि विश्व के एजेंडे को विश्व व्यापार संगठन की वास्तविक भावना में निष्पक्ष, न्यायसंगत रूप से तैयार करना होगा।

कोविड-19 के मुद्दे पर, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत आज महामारी की दूसरी लहर का अनुभव कर रहा है और इस लहर की भयावहता गंभीर है। उन्होंने कहा कि भारत निर्बाध रूप से महामारी से लड़ रहा है। सरकार महत्वपूर्ण आपूर्ति की खरीद, राज्यों में ऑक्सीजन की आपूर्ति का वितरण और वास्तविक समय की निगरानी सुनिश्चित कर रही है।

उन्होंने रेलवे की ‘ऑक्सीजन एक्सप्रेस’ शुरू करने के बारे में भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हमारे निरंतर प्रयासों के साथ, हम जल्द ही इस वैश्विक चुनौती को पार कर पाएंगे और मजबूत बनेंगे। उन्होंने कहा कि भारत लचीला वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक अभिन्न अंग बनना चाहता है। महामारी की पहली लहर के दौरान भी, देश ने अपनी सभी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और दायित्वों को पूरा किया।


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