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बुद्ध के बोध से मानवता की सेवा में जुटा है भारत : मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा, “भगवान बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा तथा सेवा और समर्पण का पर्याय हैं।

बुद्ध के बोध से मानवता की सेवा में जुटा है भारत : मोदी
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नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान गौतम बुद्ध का वचनों एवं उपदेशों को मानवता की सेवा में भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करने वाला बताया है और कहा है कि भारत इसी आत्मबोध के साथ अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है।

श्री मोदी ने यहां भगवान बुद्ध की जयंती बुद्ध पूर्णिमा के मौके पर वैशाख उत्सव के वर्चुअल आयोजन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिरकत की और कहा, “भगवान बुद्ध का एक एक वचन, एक एक उपदेश मानवता की सेवा में भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। बुद्ध भारत के बोध और भारत के आत्मबोध, दोनों के प्रतीक हैं। इसी आत्मबोध के साथ, भारत निरंतर पूरी मानवता के लिए, पूरे विश्व के हित में काम कर रहा है और करता रहेगा। भारत की प्रगति, हमेशा, विश्व की प्रगति में सहायक होगी।”

उन्होंने कहा कि हमारी सफलता के पैमाने और लक्ष्य दोनों, समय के साथ बदलते रहते हैं । लेकिन जो बात हमें हमेशा ध्यान रखनी है, वो ये कि हमारा काम निरंतर सेवाभाव से ही होना चाहिए। जब दूसरे के लिए करुणा हो, संवेदना हो और सेवा का भाव हो, तो ये भावनाएं हमें इतना मजबूत कर देती हैं कि बड़ी से बड़ी चुनौती से आप पार पा सकते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भगवान बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा तथा सेवा और समर्पण का पर्याय हैं। बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा हैं। बुद्ध, वो है जो स्वयं को तपाकर, स्वयं को खपाकर, खुद को न्योछावर करके, पूरी दुनिया में आनंद फैलाने के लिए समर्पित है।” उन्होंने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि इस समय हमारे आसपास ऐसे अनेक लोग दूसरों की सेवा के लिए, किसी मरीज के इलाज के लिए, किसी गरीब को भोजन कराने के लिए, किसी अस्पताल में सफाई के लिए, किसी सड़क पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए, चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं। भारत में, भारत के बाहर, विश्व के हर कोने में ऐसा प्रत्येक व्यक्ति अभिनंदन का पात्र है।

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है। दुःख-निराशा-हताशा का भाव बहुत ज्यादा है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती है। बुद्ध कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता। आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के बताये -दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव और जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना, ये चार सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं। कोई भी देख सकता है कि भारत निस्वार्थ भाव से, बिना किसी भेदभाव के, अपने यहां भी और पूरे विश्व में, कहीं भी संकट में घिरे व्यक्ति के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है।

उन्होंने कहा कि लाभ-हानि, समर्थ-असमर्थ से अलग, हमारे लिए संकट की ये घड़ी सहायता करने की है, जितना संभव हो सके मदद का हाथ आगे बढ़ाने की है। यही कारण है कि विश्व के अनेक देशों ने भारत को इस मुश्किल समय में याद किया और भारत ने भी हर ज़रूरतमंद तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है, अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि प्रत्येक जीवन की मुश्किल को दूर करने के संदेश और संकल्प ने भारत की सभ्यता को, संस्कृति को हमेशा दिशा दिखाई है। भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति और इस महान परम्परा को बहुत समृद्ध किया है। वह अपना दीपक स्वयं बने और अपनी जीवन यात्रा से, दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित करते रहे। इसीलिए बुद्ध किसी एक परिस्थिति या प्रसंग तक सीमित नहीं हैं। समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है। ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि, बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि एक पवित्र विचार भी है। एक ऐसा विचार जो प्रत्येक मानव के हृदय में धड़कता है, मानवता का मार्गदर्शन करता है।

प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की परिस्थितियों में भी वर्चुअल बुद्ध पूर्णिमा दिवस समारोह के आयोजन के लिए अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ की सराहना की और कहा कि इस अभिनव प्रयास के कारण ही इस आयोजन में विश्व भर के लाखों अनुयायी एक दूसरे से जुड़ रहे हैं। उन्होंने इस बात की भी प्रशंसा की कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ ने इस समारोह को कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला कर रहे पूरी दुनिया के स्वास्थ्य कर्मियों और दूसरे सेवा-कर्मियों के लिए प्रार्थना सप्ताह के रुप में मनाने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा, “करुणा से भरी आपकी इस पहल के लिए मैं आपकी सराहना करता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि ऐसे ही संगठित प्रयासों से हम मानवता को इस मुश्किल चुनौती से बाहर निकाल पाएंगे, लोगों की परेशानियों को कम कर पाएंगे।”

श्री मोदी ने एक बौद्ध उक्ति को उद्धृत किया ‘सुप्प बुद्धं पबुज्झन्ति, सदा गोतम सावक’ यानि जो दिन-रात, हर समय मानवता की सेवा में जुटे रहते हैं, वही बुद्ध के सच्चे अनुयायी हैं। यही भाव हमारे जीवन को प्रकाशमान एवं गतिमान करता रहे। उन्होंने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “इस मुश्किल परिस्थिति में आप अपना, अपने परिवार का, जिस भी देश में आप हैं, वहां का ध्यान रखें, अपनी रक्षा करें और यथा-संभव दूसरों की भी मदद करें।”


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