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भारत ने ऑनलाइन होकर कर दिया है लाइनों का समाधान मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आठ-दस साल पहले कि स्थितियों को याद कीजिए बर्थ सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बिल जमा करना है तो लाइन, राशन लेने के लिए लाइन, एडमिशन के लिए लाइन, रिजल्ट और सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बैंको में लाइन इतनी सारी लाइनों का समाधान भारत ने ऑनलाइन होकर कर दिया है

भारत ने ऑनलाइन होकर कर दिया है लाइनों का समाधान मोदी
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गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि आठ-दस साल पहले कि स्थितियों को याद कीजिए बर्थ सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बिल जमा करना है तो लाइन, राशन लेने के लिए लाइन, एडमिशन के लिए लाइन, रिजल्ट और सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बैंको में लाइन इतनी सारी लाइनों का समाधान भारत ने ऑनलाइन होकर कर दिया है।

श्री मोदी ने गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में आज ‘डिजिटल इंडिया सप्ताह 2022’ का उद्घाटन करने के बाद कहा कि ये जो हमारी युवा पीढ़ी है, जिनका जन्म 21 वीं सदी में हुआ है। उनके लिए तो आज डिजिटल लाइफ बहुत कूल लगती है, लेकिन सिर्फ 8-10 साल पहले कि स्थितियों को याद कीजिए बर्थ सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बिल जमा करना है तो लाइन, राशन लेने के लिए लाइन, एडमिशन के लिए लाइन, रिजल्ट और सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बैंको में लाइन इतनी सारी लाइनों का समाधान भारत ने ऑनलाइन होकर कर दिया है।

आज जन्म प्रमाण पत्र से लेकर सीनियर सिटीजन की पहचान देने वाले जीवन प्रमाण पत्र तक सरकार की अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं। वरना पहले पेंशनर को बैंक में जाकर के कहना पड़ता था कि मैं जिंदा हूं। जिन कामों में कभी कई दिन लग जाते थे, वो अब कुछ पलों में हो जाते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज डिजिटल गवर्नेंस का एक बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर भारत में है। जनधन, मोबाइल और आधार कार्ड (जेएएम ) की त्रिशक्ति का देश के गरीब और मध्यम वर्ग को सबसे अधिक लाभ हुआ है। इससे जो सुविधा मिली उससे देश के करोड़ो परिवारों का पैसा बच रहा है।

उन्होंने कहा कि आठ- साल पहले इंटरनेट डेटा के लिए जितना पैसा खर्च करना पड़ता था उससे कई गुना कम यानी एक प्रकार से नगण्य उस कीमत में आज उससे भी बेहतर इंटरनेट डेटा सुविधा मिल रही है। पहले बिल भरने के लिए, कहीं एप्लीकेशन देने के लिए, रिजर्वेशन के लिए, बैंक से जुड़े काम हों, एसी हर सेवा के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। रेलवे का आरक्षण करवाना हो और गांव में रहता हो तो बेचारा पूरा दिन खपा करके शहर जाता था। सौ-डेढ़ सौ रुपये बस का किराया खर्चा करता था और फिर रेलवे आरक्षण की लाइन में लगता था। आज वो कॉमन सर्विस सेंटर में जाता है और वहीं से उसका काम गांव में ही हो जाता है। इससे मेहनत मजदूरी करने वालों का पूरा दिन और खर्चा बच जाता है।


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