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कर संग्रह में वृद्धि के बावजूद अप्रैल-अगस्त में भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ा

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.43 लाख करोड़ रुपये हो गया है

कर संग्रह में वृद्धि के बावजूद अप्रैल-अगस्त में भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ा
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नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़कर 6.43 लाख करोड़ रुपये हो गया है। शुक्रवार को लेखा महानियंत्रक से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि यह पूरे वर्ष के लिए बजट के तय लक्ष्य 17.87 लाख करोड़ रुपये का 36 फीसदी है।

पिछले साल अप्रैल-अगस्त में राजकोषीय घाटा 5.42 लाख करोड़ रुपये था, जो 2022-23 के लक्ष्य 16.61 लाख करोड़ रुपये का 32.6 फीसदी था।

विश्लेषकों के अनुसार घाटे में वृद्धि काफी हद तक कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले राजमार्गों और रेलवे परियोजनाओं जैसे बड़े बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय में तेज उछाल के कारण हुई, जिसके बाद अगले साल की शुरुआत में लोकसभा चुनाव होंगे।

राजकोषीय घाटे में वृद्धि (सरकार के व्यय और राजस्व के बीच का अंतर) पिछले वर्ष की तुलना में कर संग्रह में वृद्धि के बावजूद हुई है। केंद्र का लक्ष्य 2023-2024 के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.9 प्रतिशत तक कम करना है।

अप्रैल-अगस्त के दौरान पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) बढ़कर 3.74 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 2.52 लाख करोड़ रुपये था। अप्रैल-अगस्त के दौरान कुल प्राप्तियां 10.29 लाख करोड़ रुपये या वार्षिक अनुमान का 37.9 प्रतिशत रही।

आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन अवधि के दौरान कॉर्पोरेट कर संग्रह साल-दर-साल 15 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 2.39 लाख करोड़ रुपये हो गया।


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