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भारत: कोयला आधारित संयंत्रों को बिजली उत्पादन बढ़ाने का आदेश

भारत सरकार ने आयातित कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों को उत्पादन बढ़ाने का आदेश दिया है. भारतीय कोयले से चलने वाले संयंत्र इन संयंत्रों के मुकाबले सस्ती बिजली बनाते हैं, इसलिए इन संयंत्रों ने अपना उत्पादन घटा दिया था.

भारत: कोयला आधारित संयंत्रों को बिजली उत्पादन बढ़ाने का आदेश
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एक आपात कानून के तहत दिए गए इस आदेश की जानकारी बिजली मंत्रालय के एक आंतरिक नोटिस में दी गई है जिसे समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने देखा है. संयंत्रों को यह आदेश आने वाली गर्मियों में बिजली के इस्तेमाल में रिकॉर्डबढ़त की उम्मीद के मद्देनजर दिया गया है. नोटिस उन सभी संयंत्रों को भेजा गया है जो आयातित कोयले का इस्तेमाल करते हैं.

भारत में ऐसे कई संयंत्र हैं, जिनमें अडानी पावर और टाटा पावर के गुजरात स्थित संयंत्र भी शामिल हैं. हाल में इन सभी संयंत्रों ने अपनी पूरी क्षमता के अनुसार उत्पादन नहीं किया है क्योंकि इनके लिए सस्ते भारतीय कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्रों से मुकाबला करना मुश्किल हो रहा था.

कैसे तय होगी दर

नोटिस में मंत्रालय ने संयंत्रों को कहा है कि उसे उम्मीद है कि वो पूरी क्षमता के मुताबिक उत्पादन करेंगे और बिजली एक्सचेंजों में खरीदारों को बिजली बेचेंगे. आयातित कोयले से चलने वाले संयंत्रों की कुल क्षमता 17 गीगावॉट है. आदेश का पालन 16 मार्च से करने के लिए कहा गया है, जिससे इन संयंत्रों को खपतमें होने वाली बढ़त से पहले ही कोयला आयात करने के समय मिल जाए. आदेश 15 जून तक वैध रहेगा.

इन संयंत्रों के लिए बिजली की दरें सरकार द्वारा नियुक्त की गई एक समिति तय करेगी. हर संयंत्र के लिए अलग दर होगी जिसे तय करने के लिए समिति आयातित कोयलेके सबसे कम दाम के इंडेक्स का इस्तेमाल करेगी. नोटिस में यह भी लिखा है कि मंत्रालय को अप्रैल में बिजली की मांग 229 गीगावॉट तक जाने की उम्मीद है और उसे पूरा करने के लिए संयंत्रों को अप्रैल में 193 गीगावाट क्षमता पर काम करना होगा.

सरकार को उम्मीद है कि बिजली संयंत्र मार्च 2024 में खत्म होने वाले वित्त वर्ष में करीब आठ प्रतिशत ज्यादा कोयले के इस्तेमाल करेंगे. बढ़ती आर्थिक गतिविधियों और अनियमित मौसम की वजह से बिजली की मांग में बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है. भारत सरकार ने इस आपात कानून का दो सालों में दूसरी बार इस्तेमाल किया है.


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