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भारत ने चीन से पैंगोंग झील से अपने सैनिक व संरचनाएं हटाने को कहा

भारत और चीन के सैन्य शीर्ष अधिकारियों ने शनिवार को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध की स्थिति को सुलझाने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सुरक्षा बलों को हटाने के लिए वार्ता शुरू की।

भारत ने चीन से पैंगोंग झील से अपने सैनिक व संरचनाएं हटाने को कहा
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नई दिल्ली | भारत और चीन के सैन्य शीर्ष अधिकारियों ने शनिवार को पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में गतिरोध की स्थिति को सुलझाने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सुरक्षा बलों को हटाने के लिए वार्ता शुरू की। यह बैठक चशूल के सामने चीन की तरफ मोल्दो में हो रही है।

भारतीय सैन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-स्थित 14 कॉर्प के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे हैं और चीनियों का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन कर रहे हैं।

दोनों देश पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में विशेष रूप से पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर गतिरोध को हल करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, जहां चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया है।

जो क्षेत्र अभी तक भारतीय नियंत्रण में हैं, वहां चीनी सैनिकों ने शिविर लगाकर यथास्थिति को बदलने का प्रयास किया है।

इससे पहले दोनों देशों के मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच दो जून को वार्ता हुई थी, जिसका कोई निर्णय नहीं निकल पाया था।

पैंगोंग झील के फिंगर-4 क्षेत्र में बड़ी संख्या में चीनी सैनिक डेरा डाले हुए हैं। पैंगोंग झील को आठ फिंगर क्षेत्रों के हिसाब से विभाजित किया गया है। झील के साथ पहाड़ियों के उभरे हुए हिस्से को ही फिंगर कहा जाता है। अब तक भारत एक से चार फिंगर के क्षेत्र को नियंत्रित करता रहा है और चीन फिंगर पांच से आठ के बीच के क्षेत्र को नियंत्रित करता है।

फिंगर-4 के पास एक भारतीय पोस्ट है। हालांकि भारत फिंगर-8 तक पूरे क्षेत्र पर अपना दावा करता है। फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच का क्षेत्र विवाद का विषय रहा है और यहीं पर अक्सर टकराव देखा गया है।

पैंगोंग झील के पास पांच मई को कथित तौर पर झड़प हो गई थी, जिससे दोनों पक्षों के कई सैनिक घायल हो गए।

सूत्रों ने बताया कि गतिरोध लद्दाख में भारत के सड़क निर्माण के लिए एक सहज प्रतिक्रिया नहीं है। उस झड़प से कुछ हफ्तों पहले ही असामान्य गतिविधियों को देखा गया था।

लद्दाख में मौजूदा गतिरोध सामान्य गश्त का हिस्सा नहीं है, बल्कि डोकलाम के बाद चीन द्वारा शुरू की गई नई रणनीति का हिस्सा है।


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