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भारत और ब्रिटेन ने शुरू किया तकनीकी सुरक्षा सहयोग

ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक नए तकनीकी सुरक्षा सहयोग की घोषणा की. लैमी ने प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की

भारत और ब्रिटेन ने शुरू किया तकनीकी सुरक्षा सहयोग
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ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने अपनी पहली भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक नए तकनीकी सुरक्षा सहयोग की घोषणा की. लैमी ने प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की.

ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी दो दिन के भारत दौरे पर हैं. बुधवार, 24 जुलाई को उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की. मोदी ने लैमी से मुलाकात के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, "यूनाइटेड किंगडम के विदेश मंत्री डेविड लैमी से मिलकर खुशी हुई. व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और विस्तृत व मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर द्वारा दी गई प्राथमिकता की सराहना करता हूं."

पीएम मोदी ने आगे लिखा, "संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हूं. द्विपक्षीय प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल और पारस्परिक रूप से लाभकारी एफटीए को अंतिम रूप देने की इच्छा का स्वागत करता हूं."

ब्रिटेन के विदेश मंत्री की दिल्ली यात्रा, प्रधानमंत्री स्टार्मर की लेबर सरकार के पांच जुलाई को सत्ता में आने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच पहली उच्च स्तरीय वार्ता है.

क्या है ब्रिटेन-भारत प्रौद्योगिकी सुरक्षा सहयोग

ब्रिटेन सरकार ने एक बयान में कहा है कि उसने भारत के साथ मिलकर एक नई प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल (टीआईएस) शुरू की है, जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, दूरसंचार सुरक्षा सहयोग बढ़ाना और उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश को प्रोत्साहन देना है.

एस जयशंकर और डेविड लैमी के बीच बातचीत के बाद भारत-ब्रिटेन प्रौद्योगिकी सुरक्षा पहल के बारे में जानकारी दी गई. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने ब्रिटिश सरकार के हवाले से बताया कि इस समझौते से दोनों देश सेमीकंडक्टर, क्वांटम और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत महत्वपूर्ण तकनीकों पर मिलकर काम करेंगे.

ब्रिटिश विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, "इसका मतलब होगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर महत्वपूर्ण खनिजों तक भविष्य की चुनौतियों पर मिलकर काम करना. हम आपसी विकास को गति दे सकते हैं. इनोवेशन, रोजगार और निवेश को बढ़ावा दे सकते हैं."

टीएसआई, भारत-यूके रोडमैप 2030 में निर्धारित महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय सहयोग एजेंडे पर आधारित है. उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण व उभरती तकनीकों में सहयोग को और स्पष्ट रूप से सामने लाएगी.

एफटीए पर क्या हुई बात

भारत और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों ने मुक्त व्यापार संधि (एफटीए) के लिए बातचीत को रफ्तार देने पर भी विचार किया. बीते समय में भारत के आम चुनाव और ब्रिटेन में चुनाव के कारण इस मुद्दे पर बातचीत आगे नहीं बढ़ पाई थी.

दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार संधि पर तीन साल से भी ज्यादा समय से बातचीत चल रही है, लेकिन हस्ताक्षर नहीं हो पाए हैं. पहले दिसंबर 2023 तक इसपर समझौता करने का एलान भी किया गया था. लेबर पार्टी ने पहले इसको लेकर कुछ विरोध किया था, लेकिन वह अब इसका समर्थन कर रही है. चूंकि अब लेबर पार्टी ही ब्रिटेन की सत्ता में है, तो यह उम्मीद की जा रही है कि इस मुद्दे पर जल्द कोई समझौता हो सकता है.

जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में लैमी के साथ अपनी बातचीत को सार्थक और आकर्षक बताया. उन्होंने लिखा, "व्यापार और अर्थव्यवस्था, रक्षा और सुरक्षा, शिक्षा, आईटी, डिजिटल, स्पेस एंड हाई टेकनोलॉजी, संस्कृति के क्षेत्र में घनिष्ठ संबंधों पर आधारित भारत-यूके व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने की अपार संभावनाओं पर बातचीत की." जयशंकर ने तकनीकी सुरक्षा पहल का स्वागत करते हुए कहा कि यह सहयोग के नए रास्ते खोलेगी.


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