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भारत और इंडोनेशिया रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमत

भारत और इंडोनेशिया के बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह सातवीं भारत-इंडोनेशिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जेडीसीसी) की बैठक थी

भारत और इंडोनेशिया रक्षा उद्योग, समुद्री सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने पर सहमत
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नई दिल्‍ली। भारत और इंडोनेशिया के बीच शुक्रवार को नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। यह सातवीं भारत-इंडोनेशिया संयुक्त रक्षा सहयोग समिति (जेडीसीसी) की बैठक थी।

इस दौरान रक्षा उद्योग और द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की समीक्षा की गई। गौरतलब है कि इंडोनेशिया, भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भागीदार है।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरामाने और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्रालय के महासचिव, एयर मार्शल डोनी एर्मवान तौफांटो ने शुक्रवार को नई दिल्ली में इस महत्वपूर्ण बैठक की सह-अध्यक्षता की।

इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग के बढ़ रहे दायरे पर संतोष व्यक्त किया। रक्षा सहयोग और रक्षा उद्योग सहयोग पर की गई पहल और प्रगति की भी दोनों सह-अध्यक्षों ने समीक्षा की।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इसके अतिरिक्‍त विशेष रूप से रक्षा उद्योग संबंधों, समुद्री सुरक्षा और बहुपक्षीय क्षेत्रों में सहयोग को बेहतर करने के उपायों की पहचान की। यात्रा के दौरान तौफांटो ने नई दिल्ली में डीआरडीओ मुख्यालय के साथ-साथ पुणे में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स और एलएंडटी रक्षा प्रतिष्‍ठानों का दौरा किया।

उन्होंने भारत फोर्ज, महिंद्रा डिफेंस और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड जैसे अन्य भारतीय रक्षा उद्योग साझेदारों के साथ भी विचार-विमर्श किया और अनुसंधान एवं संयुक्त उत्पादन में सहयोग के जरिए रक्षा औद्योगिक क्षमताओं को बेहतर बनाने के तरीकों पर चर्चा की।

यात्रा के दौरान उन्होंने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान से भी मुलाकात की। तौफांटो 2 मई से भारत के दौरे पर हैं। उन्होंने नई दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर शहीद नायकों को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

भारत और इंडोनेशिया के बीच व्यापक रणनीतिक भागीदारी है। दोनों देशों का भारत-प्रशांत क्षेत्र को लेकर विजन एक जैसा है। मौजूदा समय में इस भागीदारी की विशेषता द्वि-पक्षीय और बहु-पक्षीय क्षेत्रों में नजदीकी सहयोग है, जिसमें अक्‍सर होने वाली उच्च-स्तरीय बातचीत भी शामिल है।


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