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सीमा विवाद को जल्द सुलझाने पर सहमत हुए भारत और चीनी विदेश मंत्री

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के इतर गुरुवार को मुलाकात की. दोनों ने लंबित सीमा विवाद को जल्द सुलझाने पर चर्चा की

सीमा विवाद को जल्द सुलझाने पर सहमत हुए भारत और चीनी विदेश मंत्री
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भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन के इतर गुरुवार को मुलाकात की. दोनों ने लंबित सीमा विवाद को जल्द सुलझाने पर चर्चा की.

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कजाखस्तान के अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन के दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की. दोनों विदेश मंत्री एससीओ की बैठक में हिस्सा लेने अस्ताना पहुंचे हैं.

भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी कार्यकाल की शुरूआत के बाद दोनों विदेश मंत्रियों की यह पहली उच्च स्तरीय बैठक है. पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कारण भारत और चीन के बीच चार साल से संबंध अच्छे नहीं चल रहे थे. इसके मद्देनजर दोनों नेताओं के बीच इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है.

बैठक में क्या बात हुई

जयशंकर ने बैठक के बाद एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी पोस्ट में लिखा, "आज अस्ताना में सीपीसी पोलित ब्यूरो सदस्य और विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात हुई. सीमावर्ती क्षेत्रों में शेष मुद्दों के शीघ्र समाधान पर चर्चा की. इस उद्देश्य के लिए राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रयासों को दोगुना करने पर सहमति व्यक्त की गई."

उन्होंने कहा कि एलएसी का सम्मान करना और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करना आवश्यक है. जयशंकर ने कहा, "आपसी संबंधों के तीन तत्व - आपसी सम्मान, आपसी संवेदनशीलता और आपसी हित हमारे द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन करेंगे."

इस मुलाकात के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा एससीओ के शासन प्रमुखों की परिषद की बैठक के मौके पर हुई इस मुलाकात के दौरान दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने और पुनर्निर्माण करने के लिए पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर बाकी मुद्दों का जल्द समाधान खोजने पर विचारों का गहन आदान-प्रदान किया.

दोनों मंत्री इस बात पर सहमत हुए कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति का लंबा खिंचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है.

तनाव कम करने की कोशिश

मई 2020 में चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. यह झड़प लद्दाख की गलवान घाटी में हुई थी जहां से चीन के कब्जे वाला तिब्बत पठार बहुत पास है. गलवान घाटी की झड़प में भारत के 20 सैनिक मारे गए थे. इस घटना में चीन के भी कई सैनिक मारे गए लेकिन चीन की सरकार ने उनकी सही संख्या को सार्वजनिक नहीं किया. इस घटना के बाद दोनों देशों ने इलाके में सैनिकों और हथियारों की भारी तैनाती कर दी.

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर अब भी गतिरोध बना हुआ है, जबकि दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.

दोनों देश पहले भी सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों से बातचीत जारी रखने पर सहमत हो चुके हैं. भारत की ओर से जारी बयान में कहा गया कि जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख के शेष क्षेत्रों से भी सैनिकों को पूरी तरह से हटाने के लिए प्रयास बढ़ाने और दोनों देशों के संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने पर भी जोर दिया.

एससीओ की बैठक अस्ताना में हो रही है और इस बैठक में भाग लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पहुंचे हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक के लिए नहीं गए हैं और भारत का प्रतिनिधित्व जयशंकर कर रहे हैं. मोदी अगले हफ्ते रूस की यात्रा पर जाने वाले हैं और वहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति पुतिन से होगी.


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