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भारत और चीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे

22 मार्च को चीन की राजधानी पेइचिंग में लोकतंत्र पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय फोरम: साझा मानवीय मूल्यह्व शुरू हुआ

भारत और चीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे
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बीजिंग। 22 मार्च को चीन की राजधानी पेइचिंग में लोकतंत्र पर दूसरा अंतर्राष्ट्रीय फोरम: साझा मानवीय मूल्यह्व शुरू हुआ। इस अंतर्राष्ट्रीय फोरम में 5 थीम (लोकतंत्र और सतत विकास, लोकतंत्र और नवाचार, लोकतंत्र और वैश्विक शासन, लोकतंत्र और मानव सभ्यता की विविधता और लोकतंत्र और आधुनिकीकरण) हैं, जो 22 से 23 मार्च तक आयोजित हुआ, जिसमें दुनिया भर के राजनेताओं, विशेषज्ञों, विद्वानों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया है और इन मुद्दों पर आदान-प्रदान किया है।

23 मार्च की सुबह फोरम का तीसरा चरण आयोजित किया गया, जिसका विषय लोकतंत्र और वैश्विक शासन है। भारत के नई दिल्ली में ब्रिक्स संस्थान के निदेशक बिनोद सिंह अजातशत्रु (चीनी नाम काओ शिंग) ने चाइना मीडिया ग्रुप के पत्रकार के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि चीन वैश्विक प्रशासन प्रणाली के सुधार और निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेता है, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण और अधिक न्यायसंगत और उचित दिशा में वैश्विक शासन के विकास को बढ़ावा देता है। उन्हें विश्वास है कि एक जटिल और हमेशा बदलते अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में नई चीनी सरकार एक नए प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निर्माण को सक्रिय रूप से बढ़ावा देगी, और संयुक्त रूप से मानव जाति के लिए एक उज्‍जवल भविष्य का निर्माण करेगी।

लोकतंत्र के मुद्दे पर काओ शिंग ने कहा कि भारत में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित सबका साथ, सबका विकास के सिद्धांत, जो चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग द्वारा प्रस्तावित चीनी सपने से मिलता-जुलता है, जो सभी नागरिकों के लिए बेहतर और खुशहाल जीवन पर जोर देता है। दो प्राचीन सभ्यताओं के रूप में, भारत और चीन वैश्विक शासन के क्षेत्र में तेजी से प्रभावशाली हैं और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।


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