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स्वच्छ ऊर्जा के जरिए संबंधों को नया आयाम देने में जुटे भारत-अमेरिका

संयुक्त राज्य अमेरिका की ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन की इस सप्ताह हुई भारत यात्रा पिछले नौ महीनों में उनकी तीसरी यात्रा थी

स्वच्छ ऊर्जा के जरिए संबंधों को नया आयाम देने में जुटे भारत-अमेरिका
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नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका की ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन की इस सप्ताह हुई भारत यात्रा पिछले नौ महीनों में उनकी तीसरी यात्रा थी। वह गांधीनगर में जी-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की बैठक में भाग लेने के लिए आई थीं। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात है कि यह भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों का एक और संकेत था, जो पिछले महीने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान दिखा था।

जी-20 सम्मेलन के इतर येलेन की मीडिया से बातचीत के दौरान भी यह दिखा जब उन्होंने कहा कि उनका प्रयास भारत-अमेरिका के बीच मधुर संबंधों को बढ़ावा देना है।

हालांकि, भारत में उनकी यात्राओं को देखें तो बीजिंग के साथ वाशिंगटन के रिश्तों में तनाव के बीच भारत-अमेरिका के संबंध नए आयाम को छू रहे हैं।

चीन-अमेरिका के रिश्तों में तनातनी के बीच येलेन का लगातार यहां आना भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते के बढ़ते महत्व को रेखांकित करता है।

उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि अमेरिका भारत को अपने मित्रतापूर्ण प्रयास में एक अपरिहार्य भागीदार के रूप में देखता है।

अमेरिका द्वारा अपने प्रोडक्शन बेस को चीन से बाहर भारत में शिफ्ट करने की रणनीति भी भारत के साथ उसके मजबूत होते रिश्ते की तरफ इशारा करती है।

येलेन ने कहा कि कई अमेरिकी कंपनियां भारत को अपने माल के उत्पादन और फिर उन्हें अमेरिका में निर्यात करने के लिए एक आदर्श स्थान के रूप में देखती हैं।

यह मित्रता चीनी अर्थव्यवस्था की सुस्त वृद्धि के कारण हो रही है।

यह मैत्रीपूर्ण पहल पिछले महीने पीएम मोदी की वाशिंगटन यात्रा के दौरान भी दिखाई दी थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने व्हाइट हाउस में उनकी मेजबानी की थी।

दोनों नेताओं ने यह भी घोषणा की थी कि भारत-अमेरिका संबंध कभी इतने मजबूत नहीं रहे और दोनों देशों के बीच कई व्यापारिक समझौते हुए।

येलेन की यात्रा के साथ ही बिडेन प्रशासन के एक अन्य अधिकारी अमेरिकी ऊर्जा सचिव जेनिफर ग्रानहोम का आगमन भी हुआ, जो इस सप्ताह भारत और अमेरिका रणनीतिक स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (एससीईपी) की बैठक में भाग लेने के लिए आए थे।

दोनों देशों ने एससीईपी के तहत स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन करने के लिए आवश्यक नवीकरणीय ऊर्जा के बड़े पैमाने पर एकीकरण में मदद को देखते हुए सार्वजनिक-निजी ऊर्जा भंडारण कार्य बल की स्थापना और संबंधित प्रयासों का स्वागत किया।

एससीईपी की मंत्रिस्तरीय बैठक पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी और अमेरिकी ऊर्जा सचिव के बीच आयोजित की गई थी। दोनों ने हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों की तैनाती को बढ़ाने और उसे तेज करने के लिए गहन सहयोग की सराहना की, जिसमें सामान्य लागत कटौती लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।

दोनों देशों ने यूएस-भारत नई और उभरती अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी कार्रवाई मंच (आरईटीएपी) के लॉन्च की भी सराहना की। इसके तहत स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने का लक्ष्य है।

दोनों पक्षों ने 22 जून 2023 के अपने संयुक्त वक्तव्य में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा उल्लिखित सकारात्मक एजेंडे को आगे बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की। जिसमें ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों को विकसित और तैनात करने, अपने संबंधित राष्ट्रीय हाइड्रोजन रणनीतियों और लागत में कमी के लक्ष्यों के समर्थन में सहयोग का विस्तार करने, नई और उभरती नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर सहयोग में तेजी लाने के लिए एससीईपी के तहत प्रयासों का स्वागत किया गया।

बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय स्वच्छ ऊर्जा महत्व और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने, स्वच्छ ऊर्जा के नए अवसर पैदा करने, जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखने और रोजगार सृजन के अवसर पैदा करने में एससीईपी की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग के बढ़ते महत्व पर ध्यान दिया।

खास बात यह रही कि दोनों पक्षों ने भारत-अमेरिका के बीच बढ़ते ऊर्जा व्यापार का स्वागत किया। यह भी कहा गया कि यह लगातार नई ऊंचाईयों को छू रहा है।

दोनों पक्षों ने जोखिम और अनिश्चितता को कम करते हुए एक स्थिर, टिकाऊ, लचीला और विश्व स्तर पर जिम्मेदार स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला के महत्व को भी रेखांकित किया।

ध्यान देने वाली बात यह है कि जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होना है। इसके पहले बिडेन प्रशासन के अन्य अधिकारियों के भारत आने की संभावना बढ़ी है।

विदेशी मामलों के जानकारों की मानें तो आने वाले समय में वाशिंगटन से कई हाई-प्रोफाइल दौरे भारत में हो सकते हैं। यह भारत-अमेरिका के संबंधों में बढ़ती गर्मजोशी के प्रमाण हैं।


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