Top
Begin typing your search above and press return to search.

सीतलवाड़, श्रीकुमार की भूमिका की जांच के लिए एसआईटी गठित

सीतलवाड़, आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट पर लगे जालसाजी और साजिश के आरोपों की जांच के लिए एसआईटी गठित की गई.

सीतलवाड़, श्रीकुमार की भूमिका की जांच के लिए एसआईटी गठित
X

गुजरात सरकार ने तीनों पर साजिश के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है. छह सदस्यीय एसआईटी का नेतृत्व गुजरात के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) के डीआईजी दीपन भद्रन करेंगे. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट पर 2002 में गुजरात में हुए सांप्रदायिक दंगों के सिलसिले में बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए सबूत गढ़कर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप है.

अहमदाबाद की अपराध शाखा ने शनिवार को पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार को गांधीनगर से गिरफ्तार किया था और सीतलवाड़ को मुंबई से शनिवार को हिरासत में लिया था. रविवार को दोनों को अहमदाबाद के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत पेश में किया गया जहां से उन्हें दो जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया. अहमदाबाद की अपराध शाखा ने शनिवार को सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी.

सीतलवाड़ पर आरोप

सीतलवाड़ को गिरफ्तार करने की कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को 2002 गुजरात दंगों में एसआईटी से मिली क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने के एक दिन बाद हुई थी. सीतलवाड़ और उनके एनजीओ ने जकिया जाफरी के साथ मिलकर मोदी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 468, 471, 194, 211, 218 और 120 (बी) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. सीतलवाड़ से जुड़े एनजीओ "सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस" पर झूठे तथ्यों और दस्तावेजों को गढ़ने, गवाहों को प्रभावित करने और 2002 के गुजरात दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से गठित एसआईटी और नानावटी-शाह जांच आयोग के समक्ष लोगों को फंसाने के लिए झूठे सबूत गढ़कर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का आरोप है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था

बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जकिया जाफरी की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी थी. यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी. जकिया जाफरी का आरोप था कि इस घटना के पीछे एक पूर्व नियोजित साजिश थी. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि एसआईटी पर सवाल उठाना सही नहीं है.

कोर्ट ने कहा था कि झूठे खुलासे करने वाले अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा था जिन लोगों ने इस मामले में बिना आधार के सनसनी फैलाने की कोशिश की है, उसे एसआईटी ने बेनकाब किया है. ऐसे लोगों के खिलाफ कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मौजूदा कार्रवाई 16 साल तक चली. पहले 8 जून 2006 को शिकायत की गई थी और बाद में 15 अप्रैल 2013 को फिर अर्जी दाखिल की गई. कोर्ट ने कहा यह सब इसलिए हुआ कि मामला गर्म रहे.

गुजरात दंगा: नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज

शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी. उन्होंने कहा एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है. शाह ने कहा, "सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ का एनजीओ यह सब कर रहा था. उस समय की यूपीए की सरकार ने एनजीओ की मदद की है. यह केवल मोदी की छवि खराब करने के लिए किया गया था."

दूसरी ओर मानवाधिकार रक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मैरी लॉयर ने सीतलवाड़ को हिरासत में लिए जाने की निंदा करते हुए कहा कि मानवाधिकार की रक्षा करना कोई अपराध नहीं है. उन्होंने सीतलवाड़ को नफरत और भेदभाव के खिलाफ एक मजबूत आवाज बताया.


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it