जैविक उत्पाद के प्रति लोगों में बढ़ा है रुझान
जैविक उत्पादों की खेती रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग के बिना, पर्यावरण में संतुलन बनाने के लिए की जाती है।

ग्रेटर नोएडा। जैविक उत्पादों की खेती रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के उपयोग के बिना, पर्यावरण में संतुलन बनाने के लिए की जाती है। यह एक ऐसी खेती है जिसमें कार्य की शुरुआत जड़ से होती है और इसमें मृदा की उर्वरा शक्ति उत्तम पादप पोषण और मृदा प्रबंधन मूल रूप से संरक्षित रहती है जिससे रोगों की प्रतिरोधक क्षमता वाले बेहतर पोषण पदार्थ उपजते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए इंडिया एक्सपोमार्टम में जैविक कृषि कुंभ का आयोजन किया गया है, जिसमें देश के सभी राज्यों से किसानों और जैविक खेती से जुड़े व्यवसायियों ने स्टॉल लगाया है।
जस्ट आर्गेनिक के डायरेक्टर पंकज अग्रवाल ने बताया कि हमारी कंपनी उत्तराखण्ड के किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है। जैविक उत्पाद और नान जैविक में 50 से 60 प्रतिशत दाम में अंतर होता है। जैविक खेती करने के लिए किसानों के लिए सार्टिफेकेशन एजेंसियों के माध्यम से शिक्षित किया जाता है। किसान किसकी खेती करे उसका निर्धारण हम करते हैं अगर किसानों का घाटा लगता है तो उसकी भी भरपायी की जाती है।
भारत में विविध कृषि जलवायु क्षेत्रों के कारण विविध किस्मों के जैविक उत्पादों के उत्पादन की वृहत क्षमता उपलब्ध है। देश के कई भागों में विरासत में मिली जैविक कृषि की परम्परा एक अतिरिक्त सुअवसर है। निर्यात बाजार की तीव्र बढ़ोतरी के फलस्वरुप देशीय बाजार में भी उत्तरोत्तर प्रगति हो रही है जो जैविक उत्पादकों के लिए अपने उत्पादों के निरंतर विक्रय के लिए आशाजनक संकेत है।
भारत सरकार ने राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एन.पी.ओ.पी) कार्यान्वित किया है। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रमाणीकरण निकायों के लिए प्रत्यायन कार्यक्रम, जैविक उत्पादन के लिए मानदण्ड, जैविक खेती आदि को बढ़ावा देना शामिल किया है।


