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'जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों के ओवर ग्राउंड वर्कर में वृद्धि'

जम्मू एवं कश्मीर पुलिस द्वारा हाल में जारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि बीते तीन सालों में आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है

जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवादियों के ओवर ग्राउंड वर्कर में वृद्धि
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श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर पुलिस द्वारा हाल में जारी आंकड़ों से संकेत मिलता है कि बीते तीन सालों में आतंकवादियों की संख्या में कमी आई है, लेकिन आतंकवादियों से सहानुभूति रखने वालों-ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) में बढ़ोतरी हुई है। यह खतरनाक लगता है, लेकिन पुलिस अधिकारियों का कहना है कि महज संख्या का मतलब यह नहीं है कि हालात खराब हैं।

पुलिस विभाग के अपराध गजट के अनुसार, ओजीडब्ल्यू, भूमिगत आतंकवादियों के आंख व कान की तरह काम करते हैं, उनके लिए छिपने के ठिकाने, आतंकवादियों के पनाहगाह से हमले की जगह पर हथियारों को ले जाने का काम करते हैं और सुरक्षा बलों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इसके साथ ही अलगावादी साहित्य बांटते हैं और सुरक्षा बलों के खिलाफ नफरत के प्रचार अभियान में शामिल होते हैं।

इनके प्रमुख कार्यो में सुरक्षा बलों द्वारा अपमान, छेड़छाड़ करने, युवाओं व बूढ़े नागरिकों को पीटने के झूठे आरोप लगाना शामिल है। इसके अलावा आतंकवादी कमांडरों के गुणों का प्रचार करना शामिल है।

कानून व व्यवस्था को बनाए रखने में शामिल एक शीर्ष अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, "अगर आतंकवादियों को एक मछली के रूप में देखते हैं तो ओजीडब्ल्यू जल की तरह है, जो उनके जीवन को सुनिश्चित करते हैं।"

राज्य पुलिस द्वारा हाल में अपने अपराध गजट में जारी आंकड़ों को लेकर अधिकारी ने कहा, "इन आंकड़ों को बहुत आसान तरीके से लेने का प्रयास नहीं करें।"

उन्होंने कहा, "तर्क यह है कि इस तीन साल के दौरान ओजीडब्ल्यू की संख्या में बढ़ोतरी हुई, इसे सही से समझने की जरूरत है। ओजीडब्ल्यू एक बिना हथियार का आतंकवादी है। ओजीडब्ल्यू एक आतंकवादी है जो निर्दोष नागरिकों व सुरक्षा बलों के खिलाफ बंदूक के इस्तेमाल की दहलीज पर खड़ा है। अगर एक ओजीडब्ल्यू के पास बंदूक है तो वह आतंकवादी बन जाता है।"


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