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फसलों का उत्पादन बढ़़ायें वैज्ञानिक, पोषण सुरक्षा भी हो सुनिश्चित : वेंकैया

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने देश की बढ़ती आबादी को खाद्य और पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये पौष्टिक तत्वों से भरपूर फसलों का उत्पादन बढ़़ाने पर जोर दिया है।

फसलों का उत्पादन बढ़़ायें वैज्ञानिक, पोषण सुरक्षा भी हो सुनिश्चित : वेंकैया
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नयी दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने देश की बढ़ती आबादी को खाद्य और पोषण सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये पौष्टिक तत्वों से भरपूर फसलों का उत्पादन बढ़़ाने पर जोर दिया है।

श्री नायडु ने शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के स्नातकोत्तर विद्यालय के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुये कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिकों द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि वर्ष 1949-50 के दौरान देश में खाद्यान्न उत्पादन पाँच करोड़ टन से कुछ ही अधिक था जो अब बढ़कर 28 करोड़ टन से अधिक हो गया है। गेहूँ का उत्पादन 10 करोड़ टन और धान का उत्पादन 10 करोड़ 15 लाख टन पर पहुँच गया है।

उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के बावजूद देश में भोजन की कमी और कुपोषण की समस्या बनी हुयी है जो चिन्ताजनक है। खाद्य सुरक्षा के साथ साथ पोषण सुरक्षा बढ़़ाने की अपील करते हुये उन्होंने कहा कि अनाजों में प्रोटीन और विटामिन की मात्रा बढ़़ानी होगी। उन्होंने फसलों की कम उत्पादकता पर चिन्ता व्यक्त करते हुये कहा कि छोटे से देश वियतनाम में भारत से धान गया था जिसकी उत्पादकता वहाँ यहाँ की तुलना में 10 गुना अधिक है।

श्री नायडु ने कहा कि न केवल देश बल्कि दुनिया की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिये। भारत विशाल आबादी वाला देश है जो खाद्यान्न के लिये आयात पर निर्भर नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल कृषि से संबंधित मुद्दों पर संसद में पर्याप्त बहस भी नहीं करते हैं।

उन्होंने युवा पीढ़ी के वर्तमान जीवन शैली में बदलाव लाने पर जोर देते हुये कहा कि खानपान की आदत ऐसी होनी चाहिये जिसमें सभी अनाजों का उपयोग हो जिससे शारीर स्वस्थ बना रहे। उन्होंने कहा कि योग किसी धर्म से नहीं जुड़ा है जिसके कारण इसे दुनिया में अपनाया गया है। युवाओं को जंक फूड खाने से बचना चाहिये और अच्छा भोजन करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि हो रही है और प्राकृतिक आपदा बढ़ रही है। प्रौद्योगिकी का उपयोग लोगों की खुशहाली तथा अनुसंधान का उपयोग कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिये किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश में 85 प्रतिशत जमीन लघु एवे सीमांत किसानों के पास है जिसे ध्यान में रखकर अनुसंधान किया जाना चाहिये।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि परम्परागत कृषि के स्थान पर समेकित कृषि को बढ़ावा दिया जाना चाहिये जिससे किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन और पोल्ट्री भी कर सकें। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि के उत्थान के लिये कई नयी योजनायें शुरू की है जिनका लाभ निश्चित रूप से किसानों को होगा।

संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिंह ने कहा कि संस्थान कृषि के क्षेत्र में विकास के लिये हर संभव प्रयास कर रहा है। इस संबंध में नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं और फसलों की उत्पादकता तथा पोषण बढ़ाने के हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं।

दीक्षांत समारोह के दौरान विदेशी छात्रों समेत कुल 245 छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की गयीं। इस दौरान स्नातकोत्तर और पीएचडी के छात्रों को पाँच मेरिट मेडल दिया गया जबकि एक सर्वश्रेष्ठ छात्र को पुरस्कृत किया गया। समारोह के दौरान उत्कृष्ट वैज्ञानिकों को सुकुमार बसु मेमोरियल पुरस्कार, श्री हरिकृष्ण शास्त्री मेमोरियल पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ प्रसार वैज्ञानिक पुरस्कार और ए.बी. जोशी मेमोरियल पुरस्कार प्रदान किया गया।

इस संस्थान की स्थापना 1958 में एक मानक विश्वविद्यालय के रूप में की गयी थी। संस्थान के स्नातकोत्तर विद्यालय ने अब तक 10 हजार से अधिक छात्रों को उपाधियाँ प्रदान की है जिनमें 14 देशों के 399 विदेशी छात्र भी शामिल हैं।

समारोह के दौरान कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


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