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देश के प्रमुख जलाशयों के जल भंडारण स्तर में वृध्दि

देश के 91 प्रमुख जलाशयों में छह जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 33.114 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 21 प्रतिशत है

देश के प्रमुख जलाशयों के जल भंडारण स्तर में वृध्दि
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नई दिल्ली। देश के 91 प्रमुख जलाशयों में छह जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 33.114 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 21 प्रतिशत है।

29 जून को समाप्त हुए सप्ताह के अंत के दौरान 19 प्रतिशत था। छह जुलाई का जलस्तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के भंडारण का 118 प्रतिशत था और पिछले दस वर्षो के औसत जल संग्रहण का 90 प्रतिशत है। जल संसाधन मंत्रालय ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

मंत्रालय से जारी सूचना के अनुसार, इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।

उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केंद्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं।

इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 5.49 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 31 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 26 प्रतिशत थी।

पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं।

इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 3.29 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 17 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 19 प्रतिशत थी।

पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं।

इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 6.82 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 25 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 12 प्रतिशत थी।

मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं।

इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 11.22 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 27 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 22 प्रतिशत थी।

दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं।

इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 6.30 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 12 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 14 प्रतिशत थी।

पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है, उनमें हिमाचल प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना शामिल हैं।

पिछले साल की इसी अवधि के तुलना में कम संग्रहण करने वाले राज्यों में राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, एपी और टीजी (दो राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं।


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