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गहमा गहमी भरे दिन के बीच प्रशासन-किसानों की विफल रही वार्ता, किसानों ने करनाल लघु सचिवालय का किया घेराव

कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का 285 व दिन रहा, किसानों के 'सिर फोड़ने' की बात कहने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आज सैंकड़ो किसान करनाल में किसान महापंचायत के लिए इकट्ठे हुए

गहमा गहमी भरे दिन के बीच प्रशासन-किसानों की विफल रही वार्ता, किसानों ने करनाल लघु सचिवालय का किया घेराव
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करनाल। कृषि कानून के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का मंगलवार को 285 व दिन रहा, किसानों के 'सिर फोड़ने' की बात कहने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आज सैंकड़ो किसान करनाल अनाज मंडी में किसान महापंचायत के लिए इकट्ठे हुए। किसानों के लिए मंगलवार सुबह से देर रात तक बड़ा ही गहमा गहमी वाला दिन रहा, दरअसल 28 अगस्त को पुलिस और किसानों के बीच हिंसक झड़प में एक किसान की मौत और अन्य किसान घायल हुए, जिसके बाद किसानों ने हरियाणा सरकार का विरोध करना शुरू किया।

संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कहा कि, "बीते 28 अगस्त को तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने पुलिस को सीधे तौर पर किसानों के सिर फोड़ने का आदेश दिया था।"

किसानों का आरोप है कि सरकार ने बर्खास्त करने के बजाय उन्हें पदोन्नत किया।

मंगलवार को किसान करनाल अनाज मंडी में 3 मांगों को लेकर इकट्ठा हुए, पहली मांग अधिकारी बर्खास्त हो और उस पर हत्या का मामला दर्ज हो।

दूसरी किसानों ने मांग रखी कि, मृतक सुशील काजल के परिवार को 25 लाख रुपये, उनके बेटे को सरकारी नौकरी और पुलिस हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने की भी मांग उठाई।

हालांकि हरियाणा प्रशासन द्वारा किसानों को लघु सचिवालय तक मार्च करने से मना कर दिया। जिसके बाद प्रशासन से बातचीत के लिए 11 किसानों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाया गया, जहां पुलिस प्रशासन के आला अधिकारियों के साथ बैठक हुई, हालांकि किसानों के मुताबिक, 3 से 4 बैठक होने के बावजूद वार्ता बेनतीजा रही।

इसके बाद एसकेएम ने कहा कि, किसान बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं। हालांकि, जैसा कि प्रशासन ने मांगों को स्वीकार करने या मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया, वहीं बातचीत फिर विफल रही।

एसकेएम ने इसके बाद घोषणा की कि, किसान अनाज मंडी से लघु सचिवालय यानी 3.5 किमी लंबा मार्च निकलेंगे।

बैठक खत्म होने के बाद किसान नेताओं का डेलिगेशन अनाज मंडी पहुंच अन्य किसानों के साथ करनाल लघु सचिवालय घेराव करने का एलान किया।

किसानों ने सचिवालय घेराव करने से पहले किसानों और नौजवानों से शान्ति बनाए रखने की अपील की और सरकार को आंदोलन को बर्बाद करने का कोई मौका न देने की गुजारिश की।

सैंकड़ो की तादाद में किसान सचिवालय की ओर आगे बढ़ने लगे, सभी किसानों के हाथों में लाठियां और डंडे मौजूद रहे वहीं पुलिस द्वारा किसानों को रोकने की कोशिश की गई लेकिन किसानों की तादाद देख प्रशासन किसानों को रोकने में विफल साबित रहा।

किसानों के इस पूरे प्रदर्शन को देख हरियाणा प्रशासन द्वारा करनाल में धारा 144 लागू और अन्य पांच जिलों में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं बंद की गई।

जानकारी के अनुसार, करनाल में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की 10 कंपनियों समेत सुरक्षा बलों की 40 कंपनियों की टुकड़ी तैनात कर दी गई।

हरियाणा प्रशासन द्वारा किसानों को नमस्ते चौक पर रोकने की फिर कोशिश की गई लेकिन किसान आगे बढ़ने में कामयाब रहे।

इस बीच प्रशासन किसान नेताओं को हिरासत में लेने की कोशिश करने लगा, लेकिन किसानों के आक्रोश के आगे प्रशासन को अपने कदम पीछे करने पड़े।

देर शाम होते होते हजारों की संख्या में किसान सचिवालय घेराव करने में कामयाब रहे, फिलहाल किसान लघु सचिवालय के बाहर ही धरना दिए बैठे हुए हैं।


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