मप्र में नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में कम मतदान ने राजनीतिक दलों की धड़कन बढ़ाई
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के पहले चरण का मतदान हो गया है इस चरण में राजनीतिक दलों की अपेक्षा के विपरीत कम मतदान हुआ है

भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय के पहले चरण का मतदान हो गया है इस चरण में राजनीतिक दलों की अपेक्षा के विपरीत कम मतदान हुआ है और इसी बात ने उनकी धड़कनें बढ़ा दी हैं। इसके बावजूद दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। राज्य में पहले चरण का मतदान बुधवार को हुआ इस चरण में 61 फीसदी मतदान हुआ जो बीते नगरीय निकाय के चुनाव से लगभग चार प्रतिशत कम है। इसी बात में राजनीतिक दलों को चिंता में डालने का काम कर दिया है।
मतदान कम होने को लेकर भारतीय जनता पार्टी तो राज्य निर्वाचन आयोग के दफ्तर तक पहुंच गई। पार्टी के प्रतिनिधि मंडल ने राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त से मिलकर नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण में हुई अव्यवस्थाओं की जानकारी दी एवं द्वितीय चरण में मतदाताओं को इस प्रकार की कठिनाईयों का सामना न करना पड़े इसके लिए समाधान की मांग की।
प्रतिनिधि मंडल ने आयुक्त को सौपे ज्ञापन में कहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के प्रथम चरण के चुनाव में आयोग ने मतदाताओं को जागरूक नहीं किया जिसके कारण मतदान में कठिनाईयों का सामना करना पड़ा। बी.एल.ओ के उपर प्रभावी नियंत्रण नहीं होने के कारण मतदान की पर्चियॉं मतदाताओं को वितरित नहीं की, जिसके कारण मतदान प्रतिशत कम हुआ है। मतदाता सूची में जिन मतदाताओं के नाम थे उनमें से अधिकांश मतदाताओं को मतदान पर्चियॉं प्राप्त नहीं हुई है, जिसके कारण हजारों की संख्या में मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित रहे गये। जिन मतदाताओं ने विगत विधानसभा चुनाव में जिन मतदान केन्द्रों पर वोट डाला था, इस बार उनके मतदान केन्द्र बिना सूचना के विभाजित करने के कारण मतदान करने के लिये भटकना पड़ा। जिन बीएलओं ने लापरवाही की है उनके विरूद्व कठोर कार्रवाई की मांग की है।
प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि द्वितीय चरण में जिन जिलों के नगरीय निकायों में मतदान प्रस्तावित है वहां के जिला कलेक्टरों को निर्देश देकर मतदान की पर्चियां युद्व स्तर पर मतदाताओं को वितरित कराकर मतदान प्रतिशत बढ़ाने की मांग की। प्रथम चरण के चुनाव के दौरान केन्द्रीय कर्मचारी भी मतदान करने से वंचित रह गये। इसकी जानकारी देने की मांग की।
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री पी.सी. शर्मा एवं कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने कहा कि निर्वाचन आयोग के माध्यम से बीएलओ द्वारा मतदाता पर्चियां घर-घर वितरण की जाती है, लेकिन इस बार अधिकांश जगहों पर मतदाता पर्चियों का वितरण नहीं किया गया, इस वजह से बड़े पैमाने पर मतदाता मतदान नहीं कर पाए। साथ ही बहुत सारे मतदाताओं के मतदान केंद्र में भी परिवर्तन किया गया, जिससे असमंजस की स्थिति रही।
शर्मा ने चुनाव आयोग से मांग की है कि स्ट्रांग रूम में सतत निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। वहीं कांग्रेसजन भी सतत निगरानी करने में सहयोग करें।
दोनों ही दलांे की ओर से मतदान के कम प्रतिशत पर चिंता जताए जाने के बावजूद अपनी जीत का दावा किया जा रहा है। वहीं उनके भीतर इस बात की आशंका सताए हुए है कि मतदान कम होने से उनके लिए नतीजे किस तरह के आएंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज्य के नगरीय निकाय के चुनाव में मतदान का प्रतिशत कम होने और मतदाताओं की उदासीनता से किसी भी दल को नुकसान हो सकता है, यही कारण है कि दोनों ही दल खुलकर दावे नहीं कर पा रहे हैं। अपनी जीत की बात तो कह रहे हैं, मगर उनके बयानों में उत्साह ज्यादा और आत्म विश्वास कम है।


