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व्यापारियों की नजर में पिछले 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी

दीपावली, गोवर्धन, भैया दूज संपन्न हो चुका है और दिल्ली के व्यापारियों की मानें तो इस वर्ष दिवाली पर कारोबार कम हुआ है

व्यापारियों की नजर में पिछले 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी
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नई दिल्ली। दीपावली, गोवर्धन, भैया दूज संपन्न हो चुका है और दिल्ली के व्यापारियों की मानें तो इस वर्ष दिवाली पर कारोबार कम हुआ है।

व्यापारियों के मुताबिक देश के रिटेल व्यापार में प्रतिवर्ष लगभग 40 लाख करोड़ का कारोबार होता है यानी लगभग 3.5 लाख करोड़ प्रति महीना जिसमें से केवल 5 प्रतिशत हिस्सा संगठित क्षेत्र का है, जबकि बचा हुआ 95 प्रतिशत हिस्सा स्वयं संगठित क्षेत्र का है जिसे गलत रूप से असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। दिवाली से पहले के 10 दिनों में दिवाली से सम्बंधित वस्तुओं की बिक्री गत वर्षों में लगभग 50 हजार करोड़ रही है जिसमें इस साल 40प्रतिशत की कमी दिखाई दी।

रेडीमेड गारमेंट, कंज्यूमर डयूरेबल, एफ एमसीजी प्रॉडक्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, किचन सामान, घडिय़ां, गिफ़्ट आइटम, मिठाइयां, ड्राई फ्रूट, होम डेकोर, बिजली फि़टिंग, फ र्नीचर, डेकोरेशन आइटम, फ़र्निशिंग फ़ैब्रिक, बिल्डर हार्डवेयर, पेंट, बर्तन आदि वो वस्तुएं हैं जिनकी बिक्री मुख्य रूप से दिवाली पर होती है !

व्यापार की समीक्षा करते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स ने बताया कि गत वर्षों के मुकाबले इस वर्ष व्यापारियों के लिए दिवाली की रौनक लगभग न के बराबर रही और व्यापार में घोर मंदी का माहौल रहा। बाजार के जानकारों के मुताबिक गत 10 वर्षों में इस बार की दिवाली सबसे फीकी रही जिसमें व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों में ही त्योहारी माहौल नहीं बन पाया।

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की उपभोक्ताओं के पास नकदी की कमी के कारण उनकी खरीद क्षमता पर गहरा असर पड़ा जिसके कारण बाज़ारों में मायूसी छायी रही वहीं दूसरी ओर विमुद्रीकरण के बाद बाजारों में अस्थिरता ओर जब तक बाजार सम्भला तब जीएसटी के लागू होने के बाद जो दिक्कतें एवं जीएसटी पोर्टल का ठीक तरह से काम न कर पाने के कारण से बाज़ारों में अनिश्चितता का वातावरण बना जिसका असर उपभोक्ताओं पर भी पड़ा वहीं 28 प्रतिशत के जीएसटी कर स्लैब का खासा असर भी खरीददारी पर रहा।


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