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आगामी चुनावों में भाजपा-माकपा के खिलाफ कांग्रेस का महागठबंधन

 कांग्रेस ने त्रिपुरा में आगामी चुनावों में वाम मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए आदिवासी समुदाय में लोकप्रिय राजनीतिक पार्टियों से गठबंधन की पहल की है

आगामी चुनावों में भाजपा-माकपा के खिलाफ कांग्रेस का महागठबंधन
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अगरतला। कांग्रेस ने त्रिपुरा में आगामी चुनावों में वाम मोर्चा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए आदिवासी समुदाय में लोकप्रिय राजनीतिक पार्टियों से गठबंधन की पहल की है।
त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस समिति (टीपीसीसी) ने इसके लिए इंडिजिनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ ट्वीपरा (आईएनपीटी), त्रिपुरा गुट, नेशनल काउंसिल ऑफ त्रिपुरा (एनसीटी) और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों से गठबंधन बनाने की कवायद शुरू की है।

कांग्रेस नेता गोपाल रॉय ने आज पत्रकारों को बताया कि कल इस सिलसिले में संबंधित पार्टियों के नेताओं के साथ कईं दौर की वार्ता हुई और वाम मोर्चा तथा आईपीएफटी-भाजपा गठबंधन को हराने का फैसला हुआ। उन्होंने कहा कि राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों में वाम मोर्चा तथा भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में पांच पार्टियां गठबंधन बनाने पर सहमत हो गई हैं और सीटों के बंटवारे की समस्या जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां आरक्षित तथा अनारक्षित सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारेंगी लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों की आरक्षित सीटों पर आईएनपीटी जबकि अनारक्षित क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व अधिक होगा। उन्होंने कहा कि इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) ने खुले तौर पर राज्य को जातीय आधार पर विभाजित करने की मांग की है और भाजपा ने उनके साथ हाथ मिला लिया है।

श्री रॉय ने कहा, “कांग्रेस का त्रिपुरा में पारंपरिक वोट वैंक है जो विकास और शांति चाहता है। माकपा की बांटों और शासन करो नीति के कारण भाजपा पिछले दो वर्षों में राज्य में बढ़ी है लेकिन कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है। आईपीएफटी के साथ गठबंधन करने के कारण आदिवासी और गैर आदिवासी दोनों ही भाजपा से दूर भागने लगे हैं। यह स्पष्ट है कि भाजपा किसी भी सूरता में सत्ता हथियाना चाह रही है।”

उन्होंने दावा किया कि भाजपा तथा माकपा की रणनीतिक विफलता के कारण कांग्रेस गठबंधन के पास सत्ता में आने का सुनहरा अवसर है। उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान से इजाजत मिलने के बाद इन पार्टियों के साथ गठबंधन का औपचारिक ऐलान होगा और सभी पार्टियां माकपा और भाजपा को परास्त करने के लिए साफ सुथरी छवि वाले, नए और प्रभावशाली उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारेंगी।


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