बीबी जागीर कौर के मामले में जत्थेदार दोहरा मापदंड नहीं अपनाए: खैहरा
सुखपाल सिंह खैहरा ने आज कहा कि पूर्व मंत्री बीबी जागीर कौर को सिख पंथ से निष्कासित करने के मामले में अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार दोहरा मापदंड नहीं अपनाए।

जालंधर। पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष सुखपाल सिंह खैहरा ने आज कहा कि पूर्व मंत्री बीबी जागीर कौर को सिख पंथ से निष्कासित करने के मामले में अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार दोहरा मापदंड नहीं अपनाए।
खैहरा ने यहां जारी बयान में कहा कि अपनी ही बेटी को अगवा करके उसका गर्भपात करवाने के आरोप में सजा भुगत रही कौर को सिख पंथ से निष्कासित करने तथा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) से उसकी सदस्यता को रद्द करने के मामले में श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह दोहरा मापदंड अपना रहे हैं।
वर्ष 2000 में कौर की बेटी की संदिग्ध परिस्थिातियों में मौत हो गई थी। साल 2012 में केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)की विशेष अदालत ने कौर को अपनी बेटी को अगवा करने, गैरकानूनी हिरासत में रखने और जबरन गर्भपात करवाने का दोषी करार देते हुए पांच साल की सज़ा सुनाई थी।
खैहरा ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि सिख कौम की सर्वोच्च संस्था एक सज़ायाफ्ता अपराधी को सज़ा देने के मामले में दोहरा मापदंड कैसे अपना सकती है। सुच्चा सिंह लंगाह को तो उस के ख़िलाफ़ बलात्कार का मामला दर्ज़ होते ही सिख पंथ में से निकाल दिया गया था परंतु कौर पर कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही।
जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह द्वारा इस मामले को काफी पुराना बताए जाने संबंधी खैहरा ने कहा कि कौर को सज़ा का एलान होने के तुरंत बाद ही पंथ से निकाल देना चाहिए था।
उन्होंने कौर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अदालत द्वारा अपराधी करार दिए जाने के पश्चात भी कौर द्वारा ऐसे बयान दिए जाने से उसका अहंकार और लोभ सामने आया है।
उन्होंने अकाल तख़्त साहब के जत्थेदार से अपील की है कि कौर को सिख पंथ से निकाल कर सिखों की धार्मिक संस्था की मान मर्यादा बरकरार रखें।


