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शिमला में रेहड़ी, पटरी और ढाबों के मालिकों को दुकानों के बाहर लगानी होगी आईडी : विक्रमादित्य सिंह

शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फॉस्ट फूड, रेहड़ी और ढाबों के मालिकों को अपनी दुकानों के बाहर पहचान पत्र लगाने का निर्देश दिया गया

शिमला में रेहड़ी, पटरी और ढाबों के मालिकों को दुकानों के बाहर लगानी होगी आईडी : विक्रमादित्य सिंह
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शिमला। शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फॉस्ट फूड, रेहड़ी और ढाबों के मालिकों को अपनी दुकानों के बाहर पहचान पत्र लगाने का निर्देश दिया गया।

इस संबंध में उन्होंने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट भी किया। उन्होंने कहा, “हिमाचल में भी हर भोजनालय और फास्ट फूड रेहड़ी पर उसके मा‍ल‍िक की आईडी लगाई जाएगी। इस संबंध में मंगलवार को शहरी विकास एवं नगर निगम बैठक संपन्न होने के बाद निर्देश जारी किए गए।”

कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने इस संबंध में पत्रकारों से कहा, “शहरी विकास एवं नगर निगम ने इस संबंध में बैठक की थी। बैठक में हमने यह फैसला किया है कि जितने भी स्ट्रीट वेंडर है, वो अपनी दुकानों के बाहर आईडी लगाएं। यह कदम स्वास्थ्य और साफ-सफाई की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।”

उन्होंने कहा, “अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश में भी रेहड़ी पटरी वालों को आईडी लगाने का आदेश दिया गया। अब हमने इसे अपने यहां भी मजबूती से लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए स्ट्रीट वेडिंग कमेटी बनाई गई है, ताकि आने वाले दिनों में कोई भी ऐसा मामला प्रकाश में आए, तो पारदर्शिता के साथ उस पर कार्रवाई हो सके।”

उन्होंने कहा, “स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी के माध्यम से सभी दुकानदारों के आईडी बनाए जाएंगे। इसमें उनका फोटो और रजिस्ट्रेशन नंबर होगा।”

जब विक्रमादित्य सिंह से सवाल किया गया कि आपके एक मंत्री ने विधानसभा में कहा है कि स्ट्रीट वेंडर हिमाचल का मूल निवासी होना चाहिए, तो इस पर उन्होंने कहा, “इस पर हमने मंथन किया था, लेकिन ऐसा कोई भी कानून नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि हिमाचल के लोगों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें रोजगार के लिए इधर-उधर भटकना ना पड़े। हालांकि, इस तरह के निर्णय पूर्व की सरकारों ने लेने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने ऐसे फैसलों को खारिज कर दिया, इसलिए हम ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहते हैं, जो कानूनी प्रक्रियाओं में फंसकर रुक जाए। हमने अनुसूचित जाति और महिलाओं को विशेष रूप से प्राथमिकता देने की कोशिश की है।”


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