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राज्यसभा में पुणे हिंसा पर हंगामा, उठी जांच कराने की मांग

राज्यसभा में आज सभी राजनीतिक दलों ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव घटना की एक स्वर में निंदा की और लोगों से शांति बनाने की अपील की लेकिन अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने इस घटना की उच्चतम न्यायालय के

राज्यसभा में पुणे हिंसा पर हंगामा, उठी जांच कराने की मांग
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नयी दिल्ली। राज्यसभा में आज सभी राजनीतिक दलों ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव घटना की एक स्वर में निंदा की और लोगों से शांति बनाने की अपील की लेकिन अधिकांश विपक्षी सदस्यों ने इस घटना की उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की।



सुबह कार्यवाही शुरू होने पर आवश्यक सरकारी दस्तावेजों को सभापटल पर रखे जाने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडु ने कहा कि विभिन्न नियमों के तहत अलग अलग दलों से महाराष्ट्र की घटना पर नोटिस मिले हैं इसलिए सभी दल के सदस्य को इस पर अपनी बात रखने की इजाजत दी जा रही है। उन्होंने हालांकि सदस्यों से कहा कि वे ऐसी बातें नहीं कहें जिससे समाज में तनाव बढ़े। हम यहां लोगों से शांति बनाने की अपील कर रहे हैं और सदस्यों को भी ऐसी भी बात कहनी चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के टी के रंगराजन, बहुजन समाज पार्टी के वीर सिंह, द्रविड मुनेत्र कषगम की कनिमोझी, तृणमूल कांग्रेस के नदीमुल हक और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा इस घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद पवार ने कहा कि इस घटना को लेकर पूरे देश में तनाव की स्थिति बनी है। भीमा कोरेगांव का अपना एक इतिहास है। पिछले 50 वर्षाें से कभी भी वहां इस तरह की घटना नहीं हुयी है। दलित व्यक्ति की समाधी पर हमला करने की कोशिश की गयी। उन्होंने कहा कि हम लोगों को शांति स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए और इस दिशा में कार्य करने की जरूरत है।

कांग्रेस की रजनी पाटिल ने कहा कि भीमा कोरेगांव की घटना निंदनीय है क्योंकि महाराष्ट्र की एक अपनी विचारधारा नहीं है। अब वहां मनुवादी विचार धारा उभर रही है। उन्होंने कहा कि हिन्दुवादी संगठनों के नेताओं पर कार्रवाई की जानी चाहिए।





सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि यह घटना निंदनीय है। दलित अत्याचार को राजनीति नजरिये नहीं देखा जाना चाहिए। राज्य सरकार ने इस घटना की न्यायिक जांच की घोषणा की है। सभी लोगों को शांति बनाये रखना चाहिए।

शिवसेना के संजय राऊत ने कहा कि महाराष्ट्र में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्य सरकार की भूमिका संयमी रही है। सरकार का प्रयास सही था। उन्होंने कहा कि इस घटना से किसी भी हिन्दुवादी संगठन को कोई लेना देना नहीं है। वहां पर अंग्रेज की तरह बांटों और राज करो की राजनीति की जा रही थी जिसके कारण यह घटना हुयी लेकिन सरकार ने संयम बरतते हुये इससे निपटा है। भारतीय जनता पार्टी के अमर शंकर साबले ने कहा कि घटना निंदनीय है लेकिन इसके लिए हिन्दुवादी संगठनों या राज्य सरकार पर आरोप लगाना सही नहीं है। कार्यक्रम में आये नेताओं के भड़काऊ भाषण की वजह से स्थिति खराब हुयी और यह घटना घटी।



छत्रपति शिवाजी महाराज परिवार के सदस्य एवं भाजपा नेता संभाजी छत्रपति ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुये कहा कि उनके लिए यह घटना सबसे दुखद है। शिवाजी महाराज , साहू जी महाराज और डाॅ भीमराव अंबेडकर ने बहुजन समाज के लिए काम किया था।


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