सपा के एमवाई समीकरण के मिथक को तोड़ने की तैयारी में भाजपा, रामपुर से नकवी को बना सकती है उम्मीदवार
सपा के सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाले और सपा के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान के इलाके के रूप में प्रसिद्ध रामपुर का किला ढ़हाने के लिए भाजपा इस बार विशेष तैयारी कर रही है

नई दिल्ली। सपा के सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाले और सपा के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान के इलाके के रूप में प्रसिद्ध रामपुर का किला ढ़हाने के लिए भाजपा इस बार विशेष तैयारी कर रही है। देश में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले इस रामपुर संसदीय क्षेत्र में भाजपा इस बार हर हाल में जीत हासिल करना चाहती है और इसलिए यह बताया जा रहा है कि भाजपा केंद्र सरकार के इकलौते मुस्लिम मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को यहां से लोक सभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बना सकती है। रामपुर लोक सभा सीट पर मुख्तार अब्बास नकवी इससे पहले एक बार 1998 में लोक सभा चुनाव जीत चुके हैं लेकिन उस समय उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार बेगम नूर बानो के साथ हुआ था। 1998 लोक सभा चुनाव में नकवी एक बाहरी उम्मीदवार के तौर पर रामपुर गए थे लेकिन वहां से पहले ही चुनाव में जीत हासिल करने के बाद नकवी ने रामपुर को ही अपनी कर्मस्थली बना लिया। इसके बाद 1999 और 2009 में मुख्तार अब्बास नकवी को रामपुर लोक सभा सीट पर हार का भी सामना करना पड़ा लेकिन इसके बावजूद उन्होने रामपुर से सक्रिय नाता बनाए रखा और और वो आज भी वहां से ही मतदाता है।
दरअसल, रामपुर लोक सभा उपचुनाव में जीत हासिल कर भाजपा एमवाई यानि मुस्लिम-यादव समीकरण के मिथक को प्रदेश में हमेशा के लिए खत्म कर मतदाताओं को सीधा संदेश देना चाहती है ताकि इसका लाभ 2024 के लोक सभा के आम चुनाव में उठाया जा सके। इसी समीकरण के बल पर मुलायम सिंह यादव कई बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया और इसी समीकरण के बल पर समाजवादी पार्टी आज भी विधानसभा में नंबर 2 यानि मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है। इस समीकरण को मजबूत करने में रामपुर की अहम भूमिका रही है क्योंकि मुलायम सिंह यादव और आजम खान की दोस्ती के बल पर पूरे उत्तर प्रदेश में इस समीकरण को मजबूती मिल पाई थी और आज भी आजम खान को साध कर अखिलेश प्रदेश के मतदाताओं को कुछ उसी तरह का खास संदेश देना चाहते हैं।
आपको बता दें कि , 2019 के पिछले लोक सभा चुनाव में आजम खान ने भाजपा उम्मीदवार फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा को हराया था लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद आजम खान ने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और उनके इस्तीफे के कारण ही इस लोक सभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। बसपा ने पहले ही इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारने का ऐलान कर दिया है और ऐसे में अब वहां मुख्य मुकाबला भाजपा-सपा और कांग्रेस के बीच ही होना तय माना जा रहा है।
चुनाव आयोग द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, रामपुर संसदीय सीट पर 23 जून को उपचुनाव होना है और इसके लिए नामांकन करने की आखिरी तारीख 6 जून है।


