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कई मामलों में जानलेवा हैं नीम-हकीम, सख्त कानून की मांग

नीम-हकीमों के हाथों एलोपैथिक दवाएं लेने से मरीजों की मौत के मामलों को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमस) ने ऐसे मामलों में कड़ाई बरतने की मांग की है

कई मामलों में जानलेवा हैं नीम-हकीम, सख्त कानून की मांग
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नई दिल्ली। नीम-हकीमों के हाथों एलोपैथिक दवाएं लेने से मरीजों की मौत के मामलों को देखते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमस) ने ऐसे मामलों में कड़ाई बरतने की मांग की है। नीम-हकीमों के खिलाफएक केंद्रीय कानून की मांग करते हुए कहा है कि बिना उचित प्रशिक्षण अथवा पंजीकरण के चिकित्सा कार्य कर रहे व्यक्तियों के लिए 10 वर्ष तक की कैद और कड़े जुर्माने का प्रावधान होना चाहिए।

मान्यता प्राप्त और पंजीकरण योग्य चिकित्सा प्रणालियों में एलोपैथी, आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होमियोपैथी प्रमुख हैं।

आईएमए के अध्यक्ष पदमश्री डा. केके अग्रवाल ने बताया कि इसके अलावा अन्य सभी प्रणालियां मान्यता प्राप्त नहीं हैं, गैर कानूनी हैं। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट में वर्णित क्लिनिकल ट्रायल्स के तहत पंजीकरण और बिना किसी सांस्थानिक एथिक्स कमेटी की आज्ञा के किसी अमान्य प्रणाली से इलाज करना गलत है।

आईएमए के मानद महासचिव डॉ. आरएन टंडन ने कहा, 'कानून के हिसाब से नीम-हकीम अप्रशिक्षित होते हैं और वे नियमित तौर पर अथवा आपातकालीन परिस्थितियों में किसी का इलाज नहीं कर सकते। ऐसे अप्रशिक्षित एवं अपंजीकृत लोग हृदयाघात, पैरालिसिस, मैनिनजाइटिस, शुरुआती कैंसर या रियूमेटाइड आर्थराइटिस, अपेंडिसाइटिस, गर्भावस्था की गंभीर अवस्थाओं की पहचान नहीं कर पाते और मरीजों की जान चली जाती है।’

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जान-पहचान के सहारे या किसी कंपनी के साथ मिल कर कमीशन पर दवाई देने का धंधा करते हैं। किसी परिस्थिति में कौन सा एंटीबायोटिक लेना चाहिए या नहीं लेना चाहिए, यह समझने में एक आधुनिक चिकित्सक को दस साल लग जाते हैं। यह कोई गणित नहीं है। न ही चिकित्सा कार्य को गूगल या किसी डॉक्टर की नकल करके सीखा जा सकता है। हर केस अलग होता है और हर मरीज का इलाज उसकी हालत के अनुसार अलग तरीके से किया जाता है।

आईएमए ने का यह भी मानना है कि जिन मौतों को रोका जा सकता था, उनके पीछे यदि जांच की जाये तो खुद से, कैमिस्ट से या किसी नीम-हकीम से दवाई लेने का मामला सामने आयेगा। आईएमए का विचार है कि सभी रजिस्टर्ड चिकित्सकों को अपने यहां निडर होकर एक बोर्ड लगाके रखना चाहिए, जिस पर लिखा हो: 'मुझे गर्व है कि मैं एक मान्यता प्राप्त और पंजीकृत चिकित्सक हूं। न तो मैं नीम-हकीम हूं और न ही कमीशन पर इलाज करता हूं।’


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