दर्द निवारक के रूप में जहर परोसा जा रहा अस्पतालों में
जिलेे के सरकारी अस्पतालों में बाटी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे है

जांजगीर। जिलेे के सरकारी अस्पतालों में बाटी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता को लेकर पहले भी सवाल उठते रहे है। वहीं बुधवार को औषधि निरीक्षक द्वारा सीजीएमएससी के गोदाम में की छापेमारी से चौकाने वाली बात सामने आई है। इस गोदाम से सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जा रही दर्द निवारक इंजेक्शन जो कि पहले ही शासन द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है, की बड़ी मात्रा में स्टाक पाया गया। गोदाम में मौजूद 57 हजार 740 इंजेक्शन को फ्रिज कर दिया गया है।
जिले के शासकीय अस्पतालों में मरीजों को दवा नहीं बल्कि जहर बाटी जा रही थी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब ड्रग विभाग की टीम को मामले की शिकायत मिली थी। ड्रग अफसर बुधवार को सीजीएमएससी के गोदाम पहुंचे और सारी दवा को फ्रिज कर दिया है। दरअसल यह दवा सीजीएमएससी द्वारा जिले के सभी शासकीय अस्पतालों में सप्लाई की जा रही थी। इसकी सप्लाई पर शासन ने रोक लगा दिया है।
यह इंजेक्शन दर्द निवारक दवा के रूप में इस्तेमाल होता है। जिसकी आपूर्ति जिले में हेल्थ बायोटेक बड्डी हिमाचल प्रदेश की कंपनी द्वारा सीजीएमएससी के माध्यम से जिले के सभी शासकीय अस्पतालों में सप्लाई की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक ड्रग विभाग की टीम को सूचना मिली थी कि डाइक्लोफेनिक सोडियम इंजेक्शन की (कोड नंबर डी 170) दवा अमानक है। इसकी सप्लाई में शासन ने रोक लगा दी है। इसके बाद भी जिले के सभी शासकीय अस्पतालों में यह दवा धड़ल्ले से सप्लाई की जा रही थी।
सूचना पर ड्रग विभाग की टीम बुधवार को जांजगीर के केरा रोड स्थिति छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) ड्रग वेयरहाउस पहुंची और गोदाम में मौजूद 57 हजार 740 इंजेक्शन को फ्रिज कर दिया है। अब इस बेच की दवा का इस्तेताल जिले के शासकीय अस्पतालों में नहीं होगा। अफसरों ने बताया कि रायपुर स्थित मुख्यालय से सूचना मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।


