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अपने पहले संबोधन में बोले प्रधानमंत्री, 'पीएमओ जनता का होना चाहिए, मोदी का नहीं'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को तीसरी बार पीएम पद का कार्यभार संभाल लिया। कार्यभार संभालने के बाद वह एक बार फिर एक्शन मोड में दिखाई दिए

अपने पहले संबोधन में बोले प्रधानमंत्री, पीएमओ जनता का होना चाहिए, मोदी का नहीं
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को तीसरी बार पीएम पद का कार्यभार संभाल लिया। कार्यभार संभालने के बाद वह एक बार फिर एक्शन मोड में दिखाई दिए। पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के कर्मचारियों को संबोधित किया।

उन्होंने कहा कि पीएमओ लोगों का पीएमओ होना चाहिए और यह मोदी का पीएमओ नहीं हो सकता। इस दौरान पीएम मोदी ने अपनी ऊर्जा का राज बताते हुए पीएमओ के अधिकारियों को बताया आखिर वह थकते क्यों नहीं हैं।

पीएम मोदी ने कहा, "10 साल पहले हमारे देश में एक छवि बनी हुई थी कि पीएमओ एक शक्ति का केंद्र है, एक बहुत बड़ा पावर सेंटर है और मैं न सत्ता के लिए पैदा हुआ हूं और न मैं शक्ति अर्जित करने के लिए सोचता हूं। मेरे लिए पीएमओ सबका केंद्र बने, पीएमओ शक्ति केंद्र बने, ये ना मेरी इच्छा बने और न वो मेरा रास्ता है, इसलिए 2014 से हमने जो कदम उठाए हैं, हमने इसे एक उत्प्रेरक एजेंट के रूप में विकसित करने की कोशिश की है। मेरी कोशिश रही है कि पीएमओ सेवा का अधिष्ठान होना चाहिए। पीपुल्स पीएमओ होना चाहिए। यह मोदी का पीएमओ नहीं हो सकता। इसलिए, मेरे दिल और दिमाग में 140 करोड़ लोगों के अलावा और कोई नहीं है। मेरे लिए 140 करोड़ नागरिक नहीं हैं, मेरे लिए 140 करोड़ परमात्मा का रूप हैं। जब मैं सरकार में बैठकर निर्णय करता हूं तो मैं सोचता हूं कि आज 140 करोड़ देशवासियों की इस रूप में मैंने पूजा की है और उनके चरणों में मैंने इस योजना के रूप में एक पुष्प चढ़ाया है।"

पीएम मोदी ने कहा, "मुझे पक्का विश्वास है कि 140 करोड़ देशवासियों ने आपके पुरुषार्थ को मुहर लगाई है। यह चुनाव मोदी के भाषणों पर मुहर नहीं है। ये चुनाव आपके 10 साल के हर सरकारी कर्मचारियों के पुरुषार्थ पर मुहर लगी है। इस विजय के बड़े हकदार आप लोग हैं, इस विजय के बड़े हकदार भारत सरकार के हर कर्मचारी भी हैं, जिन्होंने एक विजन के लिए खुद को समर्पित कर दिया।"

उन्होंने कहा कि सफल इंसान वो होता है, जिसके भीतर का विद्यार्थी कभी मरता नहीं है। पिछले 30 साल से ये सवाल सुन-सुनकर थक चूका हूं कि इतनी एनर्जी कहां से लाते हो, थकते क्यों नहीं हो। वह मेरी बॉडी को तराश रहे हैं कि मैं क्या खाता हूं, कितने बजे सोता हूं, मैं योग कितना करता हूं और वो गलत ट्रैक पर हैं, इसलिए उन्हें मेरी एनर्जी का रहस्य पता नहीं है। मेरी एनर्जी का रहस्य है, मैं भीतर के विद्यार्थी को जिंदा रखता हूं। जो व्यक्ति अपने भीतर विद्यार्थी को जीवित रखता है, वो कभी-भी सामर्थ्यहीन, शक्तिहीन और आलसी नहीं होता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "हम वो लोग नहीं हैं जिनका ऑफिस इतने बजे शुरू होता है और इतने बजे खत्म होता है। हम वो लोग नहीं हैं, हम समय से बंधे नहीं हैं, हमारी सोच की कोई सीमा नहीं है और हमारे प्रयासों का कोई मापदंड नहीं है। जो इससे परे हैं, वो मेरी टीम है और देश उस टीम पर भरोसा करता है।''


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