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बिहार में भाजपा की महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती-पुण्यतिथि के जरिए जाति से जुड़ने की रणनीति !

लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी रणनीति के तहत चुनावी तैयारी में जुटी हैं

बिहार में भाजपा की महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों की जयंती-पुण्यतिथि के जरिए जाति से जुड़ने की रणनीति !
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पटना। लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी रणनीति के तहत चुनावी तैयारी में जुटी हैं। इसी बीच भाजपा महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों, समाजसेवियों की जयंती, पुण्यतिथि मनाने के बहाने संबंधित जातियों को पार्टी से जोड़ने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है।

ऐसे भी भाजपा बलिदानियों को सम्मान देने के लिए 'मेरी माटी, मेरा देश' कार्यक्रम चला रही। इस बीच वह महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि के जरिए भी जातियों को साधने में जुटी है।

भाजपा प्रदेश कार्यालय में शुक्रवार को वीर शहीद बाबू गंगू मेहतर की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी सहित कई नेताओं ने उनकी तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि शहीद बाबू गंगू मेहतर ने 1857 की लड़ाई में देश की आजादी की जो नींव रखी और आजादी का जो सपना देखा था, बाद में लोगों ने उसे आगे बढ़ाया।

बताया जाता है कि भाजपा बिहार में 150 से अधिक महापुरुष, स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक कार्यकर्ता, वरिष्ठ नेताओं का जन्मदिन और पुण्यतिथि मनाने की तैयारी कर रही है। 2023 में अभी तक मुख्यालय स्तर पर 60 से अधिक नेताओं का जयंती और पुण्यतिथि मनाई जा चुकी है।

5 सितंबर को रामदेव महतो की पुण्यतिथि मनायी गई थी तो 25 अगस्त को पंडित राजकुमार शुक्ल की जयंती मनाई गई। भाजपा की रणनीति है कि जिस जाति के महापुरुषों, स्वतंत्रता सेनानियों, समाजसेवियों की जयंती, पुण्यतिथि मनाने का कार्य करती है, उस कार्यक्रम को करवाने का दायित्व भी उसी जाति से संबंधित नेताओं को सौंपी जाती है।

इसका मुख्य उद्देश्य उस जाति के लोगों को सीधे पार्टी से जोड़ना माना जाता है। भाजपा प्रदेश के मीडिया प्रभारी और प्रवक्ता मनोज शर्मा हालांकि इसे सियासत से नहीं जोड़ते। उन्होंने कहा कि इसे राजनीति या चुनाव से जोड़ना सही नहीं मानते।

उन्होंने कहा, बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती पर भाजपा पहले भी उनका विजयोत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर चुकी है। भाजपा स्वतंत्रता सेनानियों, बलिदानियों, महापुरुषों का सम्मान करना चाहती है। आने वाली पीढ़ी को भी देश के महापुरुषों के विषय में इससे जानकारी मिल सकेगी।


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