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आधा-अधूरा निर्माण फिर भी ओडीएफ ग्राम घोषित

जरही/भटगांव ! कहने को यह ओडीएफ ग्राम है लेकिन अभी भी आधे लोग खुले में शौच करते हैं, जिसका कारण लोगों में जागरूकता का अभाव नहीं बल्कि आधे-अधूरे और शौचालयों का स्तरहीन निर्माण है।

आधा-अधूरा निर्माण फिर भी ओडीएफ  ग्राम घोषित
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गृहमंत्री के गोदग्राम धुमाडांड का मामला
जरही/भटगांव ! कहने को यह ओडीएफ ग्राम है लेकिन अभी भी आधे लोग खुले में शौच करते हैं, जिसका कारण लोगों में जागरूकता का अभाव नहीं बल्कि आधे-अधूरे और शौचालयों का स्तरहीन निर्माण है। मामला किसी आम ग्राम का नहीं बल्कि गृहमंत्री द्वारा लिए गोद ग्राम धुमाडांड का मामला है जो प्रतापपुर ब्लॉक में है। शौचालय निर्माण में अनियमितता के कारण अधिकांश शौचालय आज भी अधूरे हैं और कुछ तो पिछली बारिश में ढहकर खंडहर में तब्दील हो गये हैं।
गौरतलब है कि धुमाडांड गृहमंत्री का गोदग्राम है और कई महीने पूर्व ही इसे ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। रिकॉर्ड में समस्त शौचालयों को पूर्ण बता खुले में शौच मुक्त घोषित कर तो दिया गया, लेकिन सच्चाई यह है कि ग्राम पंचायत की नब्बे प्रतिशत आबादी खुले में शौच करती है। शौचालयों को पंचायत द्वारा पूर्ण तो बता दिया गया है लेकिन आधे से अधिक शौचालय आज भी अपूर्ण है और कई निम्र स्तर निर्माण के कारण गिर चुके हैं। कहीं गड्ढे नहीं हैं तो कहीं दरवाजा, कई के तो शेड ही उड़ गए हैं। गांव के हरिप्रसाद ने बताया कि सचिव के कहने पर उसने व दो अन्य लोगों ने अपना पैसा लगा शौचालय बना दिया, लेकिन लेकिन एक रूपए भी नहीं मिलने के कारण वे शौचालय का गड्ढा नहीं बना पाये जिसके कारण वे शौचायल का प्रयोग दो वर्षों से नहीं कर पा रहे हैं। बाबूटिकरा पारा के जमुना सिंह, कलीराम, रामधनी, राजू अगरिया, सतीश कुमार, जयशंकर ने बताया कि उनके शौचालयों की स्थिति भी ऐसी ही है घटिया और अधूरे निर्माण के कारण बेकार पड़े हैं। रामधनी के शौचालय के साथ कई अन्य शौचालय बरसात में गिर गए थे। राजू अगरिया ने बताया कि वे तीन भाई हैं और सभी अलग-अलग रहते है लेकिन उन्हें सिर्फ एक शौचालय दिया गया है वह भी बिना काम का। परसराम ने बताया कि उसका शौचालय तो सेंक्शन है लेकिन वह बना ही नहीं है, देवधन ने बताया कि उसके घर में गड्ढे खोदे कई महीने हो गए, लेकिन उसके बाद सचिव ने काम नहीं कराया। इनके अलावा कई अन्य लोगों में ऐसी ही शिकायत है। संपन्न लोगों के शौचालयों को छोड़ कोई भी शौचालय काम के नहीं हैं। शौचालयों के बद्दत्तर स्थिति के कारण कई लोग शौचालयों का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। शौचालयों का निर्माण निम्र स्तर का होने के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ईंटों की जुड़ाई के लिए गड्ढे नहीं के बराबर की गए हैं। देखने से ऐसा लगता है मानो जमीन के ऊपर ही जुड़ाई कर दी गयी है। ऊंचाई और चौड़ाई स्टीमेट के अनुरूप नहीं हैं। कहीं गैस पाईप नहीं है तो कहीं अन्य सामाग्री नहीं लगे हैं। किसी का छप्पर उड़ा हुआ है तो किसी के दरवाजे ही नहीं है। शौचालयों की स्थिति को लेकर ग्रामीणों में पंचायत सचिव के विरुद्ध जमकर आक्रोश दिखा। ग्रामीणों ने बताया कि सचिव ने शौचालय निर्माण के लिए उन्हें बोला। उन्होंने निर्माण भी कराया, लेकिन उसके द्वारा पैसा आज तक नहीं दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार जनपद में किसी भी पंचायत को इतना पैसा नहीं दिया गया है जितना धुमाडांड को। अड़तीस लाख रूपए शौचालय मद से ग्राम पंचायत को मिला। इसके साथ अन्य मद से भी खर्च होने की जानकारी है।


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