10 महीनों में करीब 16 लाख दिल्लीवासी ले चुके हैं फेसलेस सर्विसेज का फायदा
पिछले साल दिल्ली के ट्रांसपोर्ट विभाग में फेसलेस सुविधा शुरू की गई थी। यह सुविधा शुरू किए जाने से पहले यहां रोज करीब दो हजार लोगों को अपने काम करवाने के लिए आना पड़ता था

नई दिल्ली। पिछले साल दिल्ली के ट्रांसपोर्ट विभाग में फेसलेस सुविधा शुरू की गई थी। यह सुविधा शुरू किए जाने से पहले यहां रोज करीब दो हजार लोगों को अपने काम करवाने के लिए आना पड़ता था। हालांकि अब ट्रांसपोर्ट विभाग में प्रतिदिन पहुंचने वाले लोगों की संख्या 100 से भी है। पिछले 9-10 महीने में करीब 16 लाख दिल्लीवासियों ने फेसलेस सेवाओं का लाभ उठाया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को सराय काले खां स्थित आरटीओ दफ्तर का दौरा कर ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रैक का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि फेसलेस सर्विसेज और ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक के मामले में दिल्ली पूरे देश को रास्ता दिखा रही है।
दिल्ली सरकार ने बीते वर्ष फरवरी के महीने में पायलट आधार पर फेसलेस सर्विस शुरू की थी। फेसलेस सर्विस का मतलब कि किसी को दफ्तर आने की जरूरत नहीं है। अपने घर बैठे सब लोग ऑनलाइन सारे काम करा सकते हैं। उसके बाद, अगस्त के महीने में इसको पूरे दिल्ली में लागू किया गया।
दिल्ली सरकार का कहना है कि इस सुविधा के शुरू होने से हमने प्रतिकात्मक रूप से एक दफ्तर पर ताला लगा दिया था। इसका मतलब यह था कि अब दफ्तरों के अंदर लोगों को आने की जरूरत नहीं है। लोगों को अपने ऑफिस से छुट्टी लेने की जरूरत नहीं है। उन्हें लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होने की जरूरत नहीं है, दलालों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि करीब 7-8 महीने के बाद मैं विभाग के मंत्री कैलाश गहलोत के साथ देखने के लिए आया कि क्या स्थिति है। यहां पर कई सारे काउंटर पर बने हुए हैं। पहले, यहां लगभग दो हजार लोग रोज अपने काम कराने के लिए आया करते थे, लोगों की लंबी-लंबी लाइनें होती थी। लोगों को छुट्टी लेनी पड़ती थी और उनको बहुत तकलीफ होती थी। लेकिन अब यहां पर सारे काउंटर खाली पड़े हुए हैं, किसी को यहां आने की जरूरत नहीं है। यहां काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि यहां मुश्किल से 50-100 लोग आते हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए भी सरकारी दफ्तर के चक्कर काटने पड़ते थे। उसको भी हमने अब आसान कर दिया। अब आप जहां से गाड़ी खरीदते हैं, वही डीलर आपको रजिस्ट्रेशन नंबर दे देगा और आपको दिल्ली सरकार के दफ्तर आने की जरूरत नहीं है।
सीएम ने कहा कि सराय काले खां दिल्ली का सबसे पहला ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक था और यह 2018 में बनाया गया था। इसके बाद से 12 ऑटोमेटेड टेस्ट ट्रैक बन चुके हैं। यहां पर सब कुछ ऑटोमेटिक है। पहले कहा जाता था कि कोई दलाल पकड़ लो, बिना ड्राइविंग टेस्ट दिए, लाइसेंस बन जाता है। अब तो सब कुछ ऑटोमेटिक है। कितने सारे कैमरे लगे हुए हैं। अब कम्प्यूटर के जरिए सब कुछ अपने आप होता है। अब कोई आपको फर्जी लाइसेंस नहीं दिला सकता। कोई दलाल यह नहीं कर सकता कि आप हमें इतने पैसे दे दो और मैं आपको लाइसेंस दिला दूंगा। अब सारा सिस्टम स्वच्छ और साफ (नीट एंड क्लीन) हो गया है। जिसको ड्राइविंग आती है और ठीक ड्राइविंग आती है, लाइसेंस उसी को मिलेगा।
दिल्ली में 12 ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक अभी तक बन चुके हैं। 8 और बन रहे हैं। इसके बाद दिल्ली में कुल 20 ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रेक हो जाएंगे। कामकाजी लोगों को,टाइम नहीं मिलता है। उनको दोपहर में छुट्टी लेकर आना न पड़े। इसलिए उनके लिए इवनिंग शिफ्ट भी रखी है। उन लोगों की सहूलियत के लिए कुछ टेस्ट ट्रैक शाम 5 से 7 बजे तक खोले जा रहे हैं। इसके साथ-साथ डोर स्टेप डिलीवरी भी चल रही है। जैसे किसी को फॉर्म भरने नहीं आ रहा है, तो वे 1076 पर कॉल कर दिल्ली सरकार के किसी एजेंट को घर बुला सकता है।


