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इमरान के लंबे मार्च का मकसद क्रांति नहीं, पसंदीदा सेना प्रमुख नियुक्त करना : नवाज शरीफ

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने कहा है कि इमरान खान की इस्लामाबाद की बहुप्रतीक्षित लंबी यात्रा क्रांति के लिए नहीं है

इमरान के लंबे मार्च का मकसद क्रांति नहीं, पसंदीदा सेना प्रमुख नियुक्त करना : नवाज शरीफ
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने कहा है कि इमरान खान की इस्लामाबाद की बहुप्रतीक्षित लंबी यात्रा क्रांति के लिए नहीं है, बल्कि अपनी पसंद के सेना प्रमुख को स्थापित करने के लिए है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, बुधवार को ट्विटर पर जारी एक बयान में शरीफ ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख द्वारा लॉन्ग मार्च की घोषणा के बाद अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि लोगों ने उनके चार साल के शासन के दौरान उनकी 'क्रांति' देख ली है।

उन्होंने कहा, "इमरान खान का लंबा मार्च किसी क्रांति के लिए नहीं, बल्कि अपनी पसंद के सेना प्रमुख को स्थापित करने के लिए है।"

नवाज शरीफ ने यह भी कहा कि इमरान खान दूसरों को चोर कहते हैं, मगर उन्होंने विदेशी फंडिंग, तोशाखाना और 50 अरब रुपये की लूट के अकाट्य सबूतों के साथ खुद को देश के इतिहास में सबसे बड़ा 'चोर' साबित किया है।

देश में राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, इसलिए इस्लामाबाद को हाई अलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि इमरान खान ने मंगलवार को घोषणा की थी कि नए आम चुनाव कराने की मांग को लेकर वह शुक्रवार को बहुप्रतीक्षित लंबा मार्च निकालेंगे।

सरकार ने इमरान के समर्थकों को राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए हजारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात करने की तैयारी शुरू कर दी है।

एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, गृह मंत्रालय ने इस्लामाबाद में लगभग 30,000 पुलिसकर्मियों, रेंजरों और अर्धसैनिक बलों को तैनात करने और प्रदर्शनकारियों को संसद भवन के पास रेड-जोन क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देने का फैसला किया है।

रेड-जोन क्षेत्र में राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री भवन, मंत्रियों के कार्यालय, संसद और विदेशी दूतावासों सहित अन्य महत्वपूर्ण इमारतें स्थित हैं।

इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने इमरान खान को लंबा मार्च निकालने से रोकने का आदेश देने के सरकार के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया था।

पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी।

इस मामले पर टिप्पणी करते हुए सीजेपी ने कहा था कि अदालत अपनी कलम को छड़ी की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहती।


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