आऊटसोर्सिंग के खिलाफ क्रान्ति सेना का जबर गोहार
छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे हर क्षेत्र में आऊटसोर्सिंग बाहरीवाद के खिलाफ विगत दिनों छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने रायपुर के धरना स्थल में शांतिपूर्ण रूप से एक दिवसीय जबर गोहार कर आवाज बुलंद किया.......
आंदोलन में नंदकिशोर शुक्ला, आचार्य कृष्ण रंजन पांडेय, सोहन पोटाई, रामगुलाम ठाकुर के साथ दिग्गज छत्तीसगढ़िया हुए शामिल
रायपुर। छत्तीसगढ़ में लगातार हो रहे हर क्षेत्र में आऊटसोर्सिंग बाहरीवाद के खिलाफ विगत दिनों छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना ने रायपुर के धरना स्थल में शांतिपूर्ण रूप से एक दिवसीय जबर गोहार (धरना आंदोलन और विरोध प्रदर्शन) कर आवाज बुलंद किया। आज छत्तीसगढ़ राज्य आउटसोर्सिंग नामक शब्द से भयाक्रांत है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ को अलग करने का उद्देश्य केवल यही था कि इस भूभाग में रहने वाली जनता विकास की दौड़ में कहीं पीछे छूट गई थी। इनके समुचित विकास, यहां की मूल भाषा-संस्कृति, यहां की प्रचुर वन संपदा, यहां के रीति-रिवाज, यहां के ऐतिहासिक मूल्यों को सुरक्षित और संरक्षित रखने के महान उद्देश्यों को लेकर ही छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया था। परंतु राज्य निर्माण के सत्रह वर्ष बीतते-बीतते यहां के मूल निवासी अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं। राज्य बनते ही राजनीति, व्यापार, उद्योग, कला-संस्कृति, शासकीय सेवाएं, कृषि, धर्म, जीवन के हर क्षेत्र में आउटसोर्सिंग होने लगा।
हर कार्यक्रम की तरह धरना की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की आरती वंदना से हुआ, जिसमें महिला क्रान्ति सेना की महिला पदाधिकारी प्रमुख रूप से हिस्सा लिया। जबर गोहार का आरंभ करते सेना के मार्गदर्शक नंद किशोर शुक्ला ने कहा भाषा के जरिये छत्तीसगढ़ी अस्मिता को खत्म करने के लिये यहां के स्कूलों में यहां की मातृभाषा छत्तीसगढ़ी के बजाय ओडिया, बांगला, तेलुगु आदि पढ़ाने की साजिशें की जाने लगीं। वहीं राजिम ब्रम्हचर्य आश्रम के उत्तराधिकारी स्वामी कृष्णरंजन ने बताया कि जंगल ही नहीं अब शहर में नक्सलवाद पनप सकता है। बेरोजगार आत्मघाती हो सकते हैं, यहां बाहरी को प्राथमिकता दे रहे हैं, ऐसे मे जाहिर है ये बेरोजगर युवाओं के भीतर हिंसात्मक आक्रोश को पैदा कर रहा है।
वक्ताओं में कांकेर शेर सोहन पोटाई ने भी आक्रोश व्यक्त किया, सेना के मार्गदर्शक प्रशिक्षक तथा छत्तीसगढ़िया बघवा कहे जाने वाले रामगुलाम ठाकुर ने कहाँ सेना अब आउटसोर्सिंग शब्द बर्दास्त नही करेगी। अब वक्त आ गया है छत्तीसगढ़ के शोसको को बाहर करने की जो छत्तीसगढ़ के मूलनिवासियो के हक और अधिकार छीन रही है। सेना आगे उसका माकूल जवाब देने तैयार है। सेना के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. अजय यादव ने आऊटसोर्सिंग का मायने बताते हुए सब को इसका विरोध करने आग्रह किया। प्रदेश संयोजक गीरधर साहू ने भी छत्तीसगढ़ियां समाज के जनप्रतिनिधियों पर प्रहार करते कहाँ समाज का चेहरा सामने करके नेता बन जाने के बाद सिर्फ पार्टी के हो जाते हो छत्तीसगढ़ को भुल जाते हो। जबर गोहार मे नये सेनानियों में आक्रोश देखने को मिला। मंच से ललित साहू, कमलेश साहू, भूपेन्द्र निर्मलकर, कुणाल बघेल, रवि तिवारी, उत्तम सतनामी, दिलीप मिरी के साथ सभी कार्यकर्ताओ ने हुंकार भरी।
छत्तीसगढ़ मे हो रहें आऊटसोर्सिंग बाहरीवाद को रोकने सेना ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन रायपुर एस डी एम को सौंपा और तत्काल प्रेषित कर कार्यवाही करने की बात कही। आखिर में प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने सभी को संबोधित करते अपनी जोशिला भाषण देकर युवाओं मे जोश भर दिया, तथा कार्यक्रम की समापन की घोषणा किया।
जबर गोहार का जबर संचालन प्रदेश उपाध्यक्ष यशवंत वर्मा ने किया। इस जबर गोहार धरना प्रदर्शन आंदोलन में छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के सभी पदाधिकारी कार्यकर्ताओ के साथ प्रदेश भर से भारी संख्या में मूल निवासी उपस्थित थे।


