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समाज, प्रदेश एवं देश के विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज, प्रदेश एवं देश के विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है

समाज, प्रदेश एवं देश के विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका : योगी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समाज, प्रदेश एवं देश के विकास में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

श्री योगी बुधवार को यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर ‘शिक्षक सम्मान समारोह’ एवं ‘प्रेरणा एप’ व ‘मानव सम्पदा पोर्टल’ के लोकार्पण अवसर पर विभिन्न जिलों से आए प्राथमिक शिक्षकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने शिक्षकों को रेखांकित करते हुए कहा कि शिक्षकगण उत्कृष्ट शिक्षा एवं जनसहभागिता के आधार पर कार्य करते हुए शिक्षा को व्यापक परिवर्तन का कारक बनाएं, जिससे वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों को भविष्य उज्ज्वल हो सके। शिक्षक जनहित की योजनाओं और देश-दुनिया में घट रही घटनाओं एवं गतिविधियों से निरन्तर अवगत रहें। इससे वे समाज एवं बच्चों में जागरूकता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे।

उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षक का सम्बन्ध किसी बच्चे से परिवार के सदस्यों के बाद सबसे पहले जुड़ता है। ऐसे में प्राथमिक शिक्षक का समाज के प्रति योगदान का दायित्व बढ़ जाता है।

इस अवसर पर पूरे प्रदेश से चयनित 49 प्राथमिक शिक्षकों को सम्मानित किया गया। प्रत्येक शिक्षक को 25 हजार रुपए की धनराशि, माँ सरस्वती की प्रतिमा, प्रशस्ति पत्र एवं अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मानित शिक्षकों की संख्या अगले वर्ष 75 किए जाने के प्रयास हों, जिससे प्रत्येक जिले से एक उत्कृष्ट शिक्षक का चयन किया जा सके। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति, प्रख्यात दार्शनिक एवं शिक्षाविद् डाॅ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्मरण करते हुए सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा में सुधार के दृष्टिगत केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद को ‘दीक्षा चैम्पियन अवार्ड’ से सम्मानित किया है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मात्र अक्षर या पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहे, बल्कि जीवन की चुनौतियों से जूझने के लिए व्यक्ति को तैयार करे। यह सकारात्मक व्यवस्था परिवर्तन और समग्र विकास को सुनिश्चित करे। शिक्षकों को इसका विचार करते हुए अपनी कार्य पद्धति और संस्कृति में बदलाव लाना होगा। जो शिक्षक जिस स्कूल से सम्बद्ध है, उसे वह आदर्श शिक्षण संस्था के रूप में विकसित करने का कार्य करे। इसमें सामाजिक सहयोग व जनसहभागिता को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए। शिक्षक यह भी सुनिश्चित करने में अपना योगदान दें कि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। अपने आचरण और कार्य पद्धति से शिक्षक भारत की गुरुकुल परम्परा को अपनाते हुए समाज, देश व दुनिया को एक नई राह दिखा सकते हैं।


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