Top
Begin typing your search above and press return to search.

झारखंड हाईकोर्ट का अहम फैसला, बुजुर्ग पिता का भरण-पोषण पुत्र का पवित्र कर्तव्य

झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि बुजुर्ग पिता का भरण-पोषण पुत्र का पवित्र कर्तव्य है

झारखंड हाईकोर्ट का अहम फैसला, बुजुर्ग पिता का भरण-पोषण पुत्र का पवित्र कर्तव्य
X

रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने कहा है कि बुजुर्ग पिता का भरण-पोषण पुत्र का पवित्र कर्तव्य है। इससे वह इनकार नहीं कर सकता। इस अहम टिप्पणी के साथ ही कोर्ट ने कोडरमा जिला फैमिली कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें बुजुर्ग के छोटे बेटे को कहा गया था कि वह पिता को गुजारा भत्ता के तौर पर प्रतिमाह 3,000 रुपए दे।

फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ बुजुर्ग के पुत्र मनोज कुमार उर्फ मनोज साव ने हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिव्यू पिटिशन फाइल किया था। जस्टिस सुभाष चंद की पीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को जायज ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में हिंदू धर्म की अवधारणाओं को उद्धृत करते हुए लिखा है, "यदि आपके माता-पिता आश्वस्त हैं तो आप आश्वस्त महसूस करते हैं, यदि वे दुखी हैं तो आप दुखी महसूस करेंगे। पिता तुम्हारा ईश्वर है और मां तुम्हारा स्वरूप है। वे बीज हैं, आप पौधा हैं। आपको अपने माता-पिता की अच्छाई और बुराई दोनों विरासत में मिलती हैं। एक व्यक्ति पर जन्म लेने के कारण कुछ ऋण होते हैं और उसमें पिता और माता का ऋण (आध्यात्मिक) भी शामिल होता है, जिसे हमें चुकाना होता है।"

पिता ने फैमिली कोर्ट में दर्ज कराए गए केस में कहा था कि उनके पास तीन एकड़ से ज्यादा जमीन थी। वर्ष 1994 में उन्होंने बड़े बेटे प्रदीप कुमार और छोटे बेटे मनोज कुमार के बीच जमीन बराबर-बराबर बांट दी। वह बड़े बेटे प्रदीप कुमार के साथ रहते हैं, जो उनकी आर्थिक मदद भी करता है। इसके विपरीत छोटे बेटे मनोज कुमार ने बीते पंद्रह वर्षों में न सिर्फ उनकी उपेक्षा की, बल्कि शाब्दिक दुर्व्यवहार किया और मारपीट कर जख्मी कर दिया।

पिता ने अदालत को बताया कि मनोज कुमार गांव में दुकान चलाता है और प्रति माह 50 हजार रुपये कमाता है। साथ ही कृषि भूमि से उसे प्रतिवर्ष 2 लाख रुपये की अतिरिक्त आय होती है। उन्होंने अदालत से गुहार लगाई थी कि उन्हें छोटे बेटे से भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह 10 हजार रुपए दिलाए जाएं। ट्रायल कोर्ट ने पिता के पक्ष में फैसला सुनाया और पुत्र को आदेश दिया था कि वह उन्हें 3,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता दे।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it