मैं मजदूर हूं मजबूर नहीं
राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण छत्तीसगढ़ द्वारा 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर प्रशांत कुमार पाण्डेय

रायपुर। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण छत्तीसगढ़ द्वारा 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर प्रशांत कुमार पाण्डेय, सहायक संचालक की अध्यक्षता में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
अध्यक्षीय भाषण में प्रशांत कुमार पाण्डेय ने कहा कि आज हमें मजदूरों को नमन करना चाहिए। वे मेहनतकश लोग जिनकी सभी क्षेत्रों में भागीदारी हैं। उन्ही की मेहनत से ही हम अन्न ग्रहण करते है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है, और उनकी मेहनत के भरोसे ही पूरा राष्ट्र निर्भर है व प्रगति कर रहा है। इसलिए हम सभी लोगों को भी प्रतिदिन समय पर कार्यालय पहुंच कर ईमानदारी से श्रम करने का संकल्प लेना चाहिए।
श्रमिक होने का परिचय देना चाहिए, तभी हमारा देश प्रगति कर सकता है। उसके पश्चात् श्रीमती रंजना आतराम द्वारा तत्काल कविता की रचना की, और उसका वाचन किया गया - हर एक इंसान मजदूर है। श्रम करना अपना दस्तूर है। श्रम करके ही हम सुख पाएंगे। श्रम को ही अपना जीवन बनाएंगे। श्रम करके ही सम्मान पाएंगे।
सुश्री ममता श्रीवास ने बताया कि मजदूरों के लिए कार्य समय 8 घंटे निश्चित किए गये हैं। उनसे तय अवधि से अधिक कार्य नहीं लेना चाहिए। उस 08 घंटे में समयानुसार गंभीरतापूर्वक कार्य संपादित करना चाहिए। श्रीमती कृष्णा गौर ने कहा कि मजदूर दिवस का प्रारंभ 1882 में हुआ, लेकिन भारत में इसका प्रारंभ 1923 में मद्रास से हुआ। महेश वर्मा ने मजदूरों की महत्ता बताते हुए कहा कि सप्ताह में एक दिन उन्हें अवकाश मिलना चाहिए। जिससे वो पुन: ऊर्जावान होकर अपने कार्य में लगन व मेहनत से कार्य संपादित कर सकेे। श्रीमती रुपा मिश्रा ने पूरे विश्व में 342 करोड़ मजदूर है, इसकी जानकारी दी श्रीमती विभा मिश्रा व श्रीमती कविता लिखार ने मजदूर दिवस के उपलक्ष्य में भावपूर्ण कविता सुनाई। और मजदूरों के कार्यो की प्रशंसा करते हुए विषय की उपयोगिता बतलाई।
डॉ. मीनाक्षी बाजपेयी ने मजदूरो के अधिकारों की जानकारी दी कि किसी भी कल-कारखाने या मकान निर्माण करते वक्त असावधानी वश या दुभाग्य से कोई दुर्घटना घटित हो जाती है। तो मजदूरों के स्वास्थ्य व उनके परिवारों को नियोक्ता के द्वारा आर्थिक लाभ का प्रावधान है, वे जहां कार्यरत है, वहां उनका बीमा कराना भी आवश्यक है। सरकार ने यह कदम मजदूरों के हित में बनाए है।
जिसकी जानकारी समय-समय पर हमें उन्हें उपलब्ध कराना आवश्यक है।
जिससे समय पर इसका लाभ उन्हें मिल सकें, यह हम सभी की जवाबदारी है, जिस प्रकार हम शिक्षक दिवस, महिला दिवस, विश्व जनसंख्या व पर्यावरण दिवस मनाते है। उसी प्रकार मजदूरों को भी समानता देने के लिए यह दिवस भारत व पूरे विश्व में मनाया जाता है।
कार्यक्रम में मुख्य रुप से टोमन साहू, सुश्री ममता श्रीवास, महेश वर्मा, डॉ. मीनाक्षी बाजपेयी, श्रीमती अंजली शुक्ला, श्रीमती मृदुला शुक्ला, श्रीमती रंजना आतराम, सुश्री स्वप्ना शर्मा, श्रीमती कविता लिखार, श्री गौतम मटियारा, श्रीमती सविता साव, श्रीमती विभा मिश्रा, श्रीमती कृष्णा गौर एवं श्रीमती रुपबानी मिश्रा उपस्थित थे।


