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आईएलओ ने रसायन विभाग के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए

रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग (डीसीपीसी) ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साथ रसायन उद्योग में सूचना के प्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (आईसीएससी) अपनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

आईएलओ ने रसायन विभाग के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए
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नई दिल्ली। रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विभाग (डीसीपीसी) ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के साथ रसायन उद्योग में सूचना के प्रसार के लिए अंतरराष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (आईसीएससी) अपनाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

अंतरराष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड (आईसीएससी) डेटा शीट हैं, जिनका उद्देश्य रसायनों के बारे में जरूरी सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी को सारांश में प्रदान करना है। इस कार्ड का प्राथमिक उद्देश्य कार्यस्थल में रसायनों के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देना है। इसमें मुख्य उपयोगकर्ता श्रमिक होते हैं और जो व्यावसायिक सुरक्षा व स्वास्थ्य के लिए जिम्मेदार हैं।

विभाग अंतर्राष्ट्रीय रासायनिक सुरक्षा कार्ड का उपयोग कार्यस्थल पर रसायनों पर उचित खतरे की जानकारी को समझने योग्य और सटीक तरीके से प्रसारित करने के लिए करेगा।

इस अवसर पर आईसीएससी को अपनाने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ. मंडाविया की उपस्थिति में डीसीपीसी और आईएलओ के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने नई दिल्ली में 'कार्यस्थल पर रसायनों के सुरक्षित उपयोग' विषयवस्तु पर आयोजित एक संगोष्ठी की अध्यक्षता की। वहीं, रसायन और उर्वरक व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री भगवंत खुबा ने इस कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।

इस अवसर पर मंडाविया ने कहा कि ने कहा कि श्रमिकों की सुरक्षा और मानवीय व्यवहार भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा, "हमने अपने नागरिकों के विकास और कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए विश्व के सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को व्यापक तौर पर स्वीकार किया है।"

उन्होंने आगे कहा, "रासायनिक उद्योग, वृद्धिशील भारतीय अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग है। यह हमारी आधारभूत व विकासात्मक जरूरतों को पूरा करने और हमारे दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।"

मंत्री ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि आईएलओ की ओर से विकसित अंतरराष्ट्रीय मानकों को भारत की ओर से अपनाया जाए, क्योंकि यह न केवल औद्योगिक दुर्घटनाओं को कम करेगा, बल्कि वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यासों के साथ आगे बढ़ना सुनिश्चित करेगा।"

वहीं, रसायन और उर्वरक व नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री खुबा ने कहा कि रासायनिक क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर भारत का कद बढ़ा है और इस प्रकार यह एक आवश्यकता बन गई है कि हम इस क्षेत्र को न केवल उत्पादन के आधार पर बल्कि सुरक्षा के पहलुओं से भी देखें।

उन्होंने कहा, "औद्योगिक श्रमिकों को निचले स्तर से लेकर प्रबंधकीय स्तर तक कार्यस्थल पर संभावित खतरों से अवगत कराया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी आपात स्थिति में उनसे निपटने के लिए पर्याप्त जानकारी से युक्त होना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण सत्र और सुरक्षा मॉक ड्रिल न केवल श्रमिकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि हमारे पर्यावरण के लिए भी प्रमुख भूमिका निभाते हैं।


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