अवैध कब्जाधारी और अपराधिक लोग नहीं लड़ सकेंगे हिमाचल में पंचायती चुनाव
हिमाचल में प्रस्तावित पंचायतीराज संस्थाओं और नगर निकायों के चुनाव में कोई भी अवैध कब्जाधारी और अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकेगा

शिमला। हिमाचल में प्रस्तावित पंचायतीराज संस्थाओं और नगर निकायों के चुनाव में कोई भी अवैध कब्जाधारी और अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करते समय सभी प्रत्याशियों को लिखकर देना होगा कि उसने या उसके परिवार ने किसी प्रकार का कोई अवैध कब्जा नहीं किया है और उनके खिलाफ किसी प्रकार का कोई आपराधिक मामला भी दर्ज नहीं है। यदि ऐसे किसी व्यक्ति ने चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरा है तो उसके खिलाफ कोई भी शिकायत कर सकता है। छंटनी के वक्त उसकी सारी जांच होगी।
वहीं, सरकार ने लोगों से भी अपील की है कि अवैध कब्जाधारियों को चुनाव न लड़ने दें। पंचायतीराज विभाग ने भी सभी लोगों से अपील की है कि वे भी ऐसे लोगों पर नजर रखें और यदि कोई ऐसा व्यक्ति चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरता है तो उन्हें बेनकाब करें। कई ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने वन और सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है, लेकिन नियमितिकरण के लिए आवेदन नहीं किया है। पंचायतीराज विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसे लोगों पर नजर रखें जो अवैध कब्जाधारी हैं और चुनाव में उतर रहे हैं। विभाग के मुताबिक ऐसे लोगों की शिकायत करें और तथ्यों और साक्ष्यों को सामने रखें। विभाग ने लोगों से साफ-सुथरी छवि के लोगों को आगे लाने की अपील की, ताकि ग्रामीण स्तर विकास की गतिविधियां तेजी से चल सकें।
चुनाव आयोग जल्द ही पंचायतीराज संस्थाओं और स्थानीय निकायों के चुनावों को लेकर अधिसूचना जारी करेगा जिसके साथ ही प्रदेश में आचार संहिता लागू हो जाएगी। प्रदेश के 12 जिलों में कुल 3615 पंचायतें हैं। इस बार 412 नई पंचायतें गठित की गई हैं। इनमें 23 पंचायतें नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों में शामिल हुई हैं। इस तरह अब कुल 389 पंचायतें बनी हैं। इन्हें मिलाकर कुल 3615 पंचायतों में चुनाव होने हैं। सरकार ने पंचायतों, पंचायत समिति और जिला परिषद की वार्डबंदी भी कर ली है। इस बार प्रदेश की 3615 पंचायतों में 21,384 वार्ड बनाए गए हैं। पंचायत समिति में 1792 और जिला परिषद से 249 वार्ड हैं। इनमें पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव कराए जाने हैं।


