अवैध बसों की धरपकड़ होगी : गहलोत
देश की राजधानी में पड़ोसी राज्यों से आने वाली हजारों बसें परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रही हैं

नई दिल्ली। देश की राजधानी में पड़ोसी राज्यों से आने वाली हजारों बसें परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए चल रही हैं। सीमा से सटे बस अड्डों से लेकर ये बसें दिल्ली के भीतरी इलाकों में भी दौड़ते हुए नजर आती हैं और सरकार इन पर प्रभावी अंकुश लगाने में पूरी तरह से कामयाब नहीं हो पा रही है। आलम यह है कि फरवरी 2017 से फरवरी 2018 तक करीबन 14 हजार बसों के चालान किए गए हैं। इनमें से पांच हजार से अधिक को जब्त भी किया गया है।
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इसकी पुष्टि भी की है कि कई राज्यों से आने वाली सात हजार नौ सौ 61 बसों के 13 हजार नौ 62 चालान किए गए हैं। उन्होंने बताया कि 1267 बसों के परमिट रद्द करने के लिए भी कार्रवाई की गई है। इन बसों में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की 591, राजस्थान की 577 बसें हैं। जबकि मध्य प्रदेश की भी दर्जन भर बसों के परमिट रद्द करने के लिए संस्तुति भेजी गई है। हालंाकि जिन अन्य राज्यों की बसों के खिलाफ कार्रवाई की है उसमें गुजरात की चार, बिजार की एक, अरूणाचल प्रदेश की चार, जम्मू कश्मीर की सात, पंजाब की 22, हरियाणा की 38 और हिमाचल प्रदेश की चार बसें शामिल हैं।
दिल्ली में सड़कों पर बेशक यह बसें परिवहन नियमों की धज्जियां उड़ाती हुई दिखती हैं लेकिन सरकार को इन बसों में गैर कानूनी तरीके से अंतर्राज्यीय बस ऑपरेटर्स के खिलाफ शिकायतें बहुत कम ही मिलती हैं।
इसे परिवहन विभाग की आपसी मिलीभगत कहें या इन अवैध बसों की कार्यकुशलता की इस साल में फरवरी तक कुल एक बस की ही शिकायत आई है। जबकि 2017 में 21, उससे पहले 14, 2015 में 24, 2014 में 21 शिकायतें मिली हैं। हाल ही में विधानसभा में जरूर परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने भरोसा दिलाया कि इन बसों के गैरकानूनी तरीके से परिचालन पर इन राज्यों को न सिर्फ सख्ती से लिख रहे हैं प्रवर्तन शाखा भी अब इनके खिलाफ धरपकड़ अभियान शुरू करेगी।


