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अगर पहलवानों को न्याय नहीं दे सकते तो नए संसद भवन की क्या जरूरत : कर्नाटक सीएम

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने रविवार को पहलवानों के विरोध से निपटने के तरीके को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है

अगर पहलवानों को न्याय नहीं दे सकते तो नए संसद भवन की क्या जरूरत : कर्नाटक सीएम
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बेंगलुरु। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने रविवार को पहलवानों के विरोध से निपटने के तरीके को लेकर नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की है। सीएम ने हैरानी जताई कि नए संसद भवन की क्या जरूरत है, अगर वह विरोध कर रहे पहलवानों को न्याय नहीं दे सकता। नए संसद की ओर मार्च करने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारी ओलंपियन पहलवानों को रविवार को दिल्ली पुलिस द्वारा सड़क पर घसीटे जाने और हिरासत में लिए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, "यह जानकर दुख हुआ कि पहलवानों को न्याय मांगने के कारण हरासत में लिया गया है।"

सिद्दारमैया ने कहा, "हम भारतीयों को उनके साथ खड़ा होना चाहिए और उनके लिए आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने हमारे लिए पदक जीतकर भारतीयों को गौरवान्वित किया है और हमें उनके भारतीय होने पर गर्व महसूस कराना चाहिए।"

धरना स्थल जंतर मंतर से मार्च शुरू करने वाले पहलवानों को पुलिस ने नए संसद भवन की ओर बढ़ने से रोक दिया। प्रदर्शनकारियों ने जब सुरक्षा घेरा तोड़ा तो वहां भगदड़ मच गई। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने पहलवान विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया को हिरासत में ले लिया। उन्हें अलग-अलग थानों में रखा गया।

ये पहलवान एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर नए संसद भवन के पास 'महिला महापंचायत' आयोजित करना चाहते थे। इनके समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सैकड़ों महिलाएं और किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे, जिन्हें गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर पुलिस ने आगे बढ़ने से रोक दिया और हिरासत में ले लिया।

रिपोर्ट के अनुसार, बृजभूषण सिंह उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से भाजपा के सांसद हैं।


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